उत्तर प्रदेश में गन्ना पेराई का नया सीजन (2021-22) शुरू हो गया है लेकिन गन्ना किसानों को पिछले सीजन का पूरा भुगतान नहीं हुआ। राज्य के चीनी उद्योग और गन्ना विकास विभाग द्वारा 8 अक्टूबर,2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों करीब 4450 करोड़ रूपये का भुगतान बकाया है। इन आंकड़ों के मुताबिक अभी तक गन्ना किसानों को पिछले पेराई सत्र (2020-21) में आपूर्ति किये गये गन्ने के लिए 28574.71 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। वहीं पिछले दिनों राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक पिछले पेराई सत्र में किसानों को होने वाले भुगतान की राशि 33025 करोड़ रुयपे बनती है। इस आधार पर चीनी मिलों पर किसानों का बकाया करीब 4450 करोड़ रुपये बनता है।
चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का यह बकाया केवल निजी चीनी मिलों पर ही नहीं बल्कि राज्य की सहकारी चीनी मिलों पर भी बकाया है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा 8 अक्तूबर को जारी आंकड़ों में चीनी मिलों के आधार पर आंकड़े नहीं दिये गये हैं। लेकिन पिछले दिनों के उपलब्ध आंकड़ों में सितंबर के पहले सप्ताह में सहकारी चीनी मिलों पर 31 फीसदी से ज्यादा का बकाया था। इनमें राज्य की पश्चिमी हिस्से की कई चीनी मिलों जिनमें बागपत, रमाला, नानौता और मोरना की चीनी मिलों पर 300 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया था। अभी तक इसमें से कितना भुगतान हुआ है उसकी ताजा जानकारी उपलब्ध नहीं है। खास बात यह है कि राज्य के इसी हिस्से में नये केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का असर अधिक है और यहां पर गन्ना किसानों की तादाद काफी ज्यादा है। वहीं निजी चीनी मिलों में सबसे कम भुगतान करने वाली कई चीनी मिलें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही हैं। साथ ही राज्य के गन्ना विकास और चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा का गृह जिला शामली भी इसी हिस्से मेें है और उनके चुनाव क्षेत्र में आने वाली थानाभवन चीनी मिल पर काफी अधिक भुगतान बकाया है।
सहकारी चीनी मिलों पर 6 सितम्बर, 2021 तक गन्ना किसानों का 875 .84 करोड़ रुपये का गन्ना मूल्य भुगतान बकाया था। आज दिए गये आंकड़ों में इसका विवरण नही दिया गया कि 4450 करोड़ रुपए के गन्ना मूल्य बकाया में सहकारी चीनी मिलों पर बकाया कि कितनी हि्स्सेदारी है लेकिन यह भी सच है कि अभी तक इनका पूरा भुगतान नहीं हुआ। बागपत जिले की रमाला सहकारी चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति करने वाले एक किसान ने रूरल वॉयस को बताया कि पहले रमाला चीनी मिल का भुगतान काफी बेहतर था लेकिन अब यह चीनी मिल भी देर से भुगतान करने वाली चीनी मिलों में शामिल हो गयी है। ऐसे में जब राज्य सरकार द्वारा संचालित सहकारी चीनी मिलें ही समय से भुगतान नहीं कर रही हैं तो वह निजी चीनी मिलों पर जल्द भुगतान करने का दबाव कैसे बना रही होगी वह इससे साफ हो जाता है।
चालू पेराई सीजन के लिए राज्य सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) 25 रुपये प्रति क्विटंल बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विटंल किया है। पिछले तीन साल राज्य सरकार ने गन्ने के एसएपी में कोई बढ़ोतरी नहीं की। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने सत्ता में आने के पहले पेराई सीजन 2017-18 में केवल 10 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की थी। पूरे कार्यकाल में मौजूदा सरकार द्वारा पांच साल में केवल 35 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी हुई है। जबकि इसके पहले की सरकारों ने इससे कहीं अधिक बढ़ोतरी की थी। वहीं पड़ोसी राज्य हरियाणा ने गन्ने के एसएपी 362 रुपये प्रति क्विटंल और पंजाब ने 360 रुयपे प्रति क्विटंल तय किया है। इसके चलते भी गन्ना किसान राज्य सराकर से नाखुश हैं।