औषधीय गुणों से युक्त पारंपरिक भारतीय मसाला हल्दी पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के किसानों की किस्मत बदलने वाली है। राज्य सरकार एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत कुशीनगर को हल्दी उत्पाद का जिला घोषित कर सकती है। इससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी के किसानों के लिए अनेक संभावनाएं खुल सकती हैं।
एक जिला एक उत्पाद योगी आदित्यनाथ सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं में एक है। इसका लक्ष्य प्रदेश के 75 जिलों में पारंपरिक और घरेलू उद्योगों को पुनर्जीवित करना तथा उन्हें मजबूती प्रदान करना है। यदि कुशीनगर को इस योजना के तहत हल्दी के लिए निर्धारित किया जाता है तो यह बौद्ध धर्म स्थल दूसरे राज्यों के इरोड, सांगली और निजामाबाद जैसे अन्य जिलों की श्रेणी में आ सकता है।
हल्दी की खेती में कुशीनगर का लंबा इतिहास रहा है। यहां मुख्य रूप से दुदाही, रामकोला, बिसुनपुरा, खड्डा, सेवरही, कप्तानगंज, कठकुइयां और फाजिलनगर ब्लॉक में इसकी खेती की जाती है। वर्ष 2014 में टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर काम करने वाले संगठन सस्टेनेबल ह्यूमन डेवलपमेंट एसोसिएशन (एसएचडीए) ने यहां हल्दी की खेती का योजनाबद्ध प्रयास शुरू किया था।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुशीनगर के लगभग 800 हेक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की जाती है। रामकोला इलाके में ही इसकी खेती लगभग 200 हेक्टेयर में होती है। इस समय जिले के करीब 10000 किसान हल्दी की खेती से जुड़े हैं। प्रति हेक्टेयर उत्पादन का औसत 36.77 क्विंटल है। हालांकि स्थानीय और विकसित किस्मों की उपज 150 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सिद्धार्थनगर जिले के काला नमक चावल की तरह कुशीनगर की हल्दी को भी एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करे।
कृषि अधिकारी बी.एम. त्रिपाठी के अनुसार कुशीनगर के कृषि जलवायु क्षेत्र में राजेंद्र सोनिया, राजेंद्र सोनाली, नरेंद्र हल्दी-1 सबसे अधिक पैदावार देने वाली किस्में हैं, बशर्ते किसानों को उत्पादन के बेहतर तरीकों के बारे में प्रशिक्षित किया जाए। अगर अच्छी क्वालिटी का बीज उपलब्ध कराने के साथ प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में संस्थागत मदद मिले तो हल्दी यहां के किसानों की किस्मत बदल सकती है। इस बीच, हल्दी की खेती को बढ़ावा देने के लिए 1150 किसानों को मिलाकर एक कंपनी गठित की गई है। सभी किसान इसमें स्टेकहोल्डर हैं। इस कंपनी ने सीमित क्षमता वाली एक प्रोसेसिंग इकाई लगाई है।
एशिया, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों के व्यंजनों में हल्दी के इस्तेमाल का पुराना इतिहास है। यह को सबसे अधिक पोषक तत्व वाले खाद्य पदार्थों में गिना जाता है। हल्दी यह बैक्टीरिया और इन्फ्लेमेशन रोधी होने के कारण दर्द, चोट और दांत की बीमारियों में लाभदायक है। यह व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ रक्त को शुद्ध करता है। यह त्वचा के लिए लाभदायक होने के साथ इसमें पाया जाने वाला तत्व मिलेटोनिन अच्छी नींद में भी सहायक है। हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व भी पाया जाता है जिसकी वजह से इसका रंग पीला होता है, यह कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को फैलने से रोकता है।