महाराष्ट्र सरकार ने अपनी अलग कृषि निर्यात नीति लांच की है। इस नीति के तहत राज्य सरकार 21 कृषि कमोडिटी के निर्यात को बढ़ावा देने पर फोकस करेगी। प्रदेश के मुख्य सचिव (कोऑपरेशन और मार्केटिंग) अनूप कुमार के अनुसार राज्य सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने का फैसला इसलिए किया क्योंकि इससे किसानों की आमदनी 40 से 45 फ़ीसदी बढ़ सकती है। घरेलू बाजार में किसानों को अच्छी कीमत मिलने की एक सीमा होती है। निर्यात से उन्हें बेहतर कीमत मिल सकती है।
दरअसल केंद्र सरकार दिसंबर 2018 में कृषि निर्यात नीति लेकर आई थी। इसमें राज्यों से अपनी-अपनी अलग नीति तैयार करने को कहा गया था। केंद्र के उसी दिशानिर्देश के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने मई 2019 में अपनी नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया था।
प्रदेश की कृषि निर्यात नीति लांच करते हुए अनूप कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार को एक्सपोर्ट चेन में बाधा नहीं डालनी चाहिए। होता यह है कि केंद्र के नीति बदलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में खरीदार हमारे ऊपर भरोसा नहीं कर पाते, जिसका नुकसान अंततः किसानों को उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विदेशी खरीदारों की सबसे बड़ी शिकायत निर्यात नीति में अचानक होने वाला बदलाव है।
महाराष्ट्र से प्याज का काफी निर्यात होता है। लेकिन इसमें भी अनेक बार नीतिगत परिवर्तन होते रहते हैं। दिसंबर 2010 से दिसंबर 2020 तक केंद्र सरकार बार-बार न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू करती रही। यानी निर्यातक उस मूल्य से कम कीमत पर प्याज का निर्यात नहीं कर सकते। इन 10 वर्षों में 34 बार प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया गया। यही नहीं घरेलू बाजार में कीमत कम करने के लिए चार बार प्याज के निर्यात पर पाबंदी भी लगाई गई।
महाराष्ट्र सरकार ने जिन वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने की नीति बनाई है, उनमें प्याज के अलावा केला, अनानास, अल्फांसो आम, केसर आम, संतरा, अंगूर, काजू, फूल, रेजिन, सब्जियां गैर बासमती चावल, दाल, अनाज, तिलहन, गुड़, मसाले, दुग्ध उत्पाद, मछलियां शामिल हैं। इनका निर्यात बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जाएगा। फसल कटाई के बाद प्रबंधन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के सलाहकार नियुक्त करने जैसे कदम उठाए जाएंगे।