हरियाणा में पराली जलाने वाले किसान मंडियों में नहीं बेच पाएंगे फसल

हरियाणा में कोई किसान अगर खेतों में पराली जलाएगा तो उस पर एफआईआर होगी और अगले दो सीजन के दौरान वह अपनी फसल मंडियों में नहीं बेच पाएगा।

धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने आदेश निकाला है कि जो किसान खेतों में पराली जलाने में लिप्त पाया जाएगा, उस पर एफआईआर होगी और अगले दो सीजन में वह अपनी फसल मंडियों में नहीं बेच पाएगा। इस तरह पराली जलाने वाले किसानों की फसल एमएसपी पर नहीं बिकेगी।

हरियाणा के कृषि विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार, पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने दो अहम निर्णय लिए हैं। पहला, पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, अगर कोई किसान पराली जलाता पाया गया तो ‘मेरी फसल, मेरा ब्योरा’ के रिकॉर्ड में उसकी रेड एंट्री की जाएगी। इससे वह किसान अगले दो सीजन में ई-खरीद पोर्टल के माध्यम से अपनी उपज मंडियों में नहीं बेच पाएगा। 

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक ने सभी जिलों के नोडल अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। खेतों में आग की सभी घटनाओं के मामले में किसानों और जमीन के खसरा नंबर की एंट्री दर्ज करानी होगी। राज्य में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने के साथ ही किसानों पर मुकदमे दर्ज कराने और जुर्माना लगाने का सिलसला जोर पकड़ रहा है। जिन कर्मचारियों और अधिकारियों की ड्यूटी खेतों की आग की रोकथाम के लिए लगी है, उन्हें भी कड़ी निगरानी करने को कहा गया है। इस साल 15 सितंबर से 14 अक्टूबर तक हरियाणा में खेतों की आग की 468 घटनाएं दर्ज की गई हैं। 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करने को लेकर पंजाब और हरियाणा सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को 23 अक्टूबर को अदालत के समक्ष पेश होने को कहा है। शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण रोकने में विफल रहने पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को भी फटकार लगाई थी।