उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को आज से ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। इस नई व्यवस्था के खिलाफ शिक्षक संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। रविवार को विभिन्न शिक्षक संगठनों ने बैठक कर अपनी समस्याओं को लेकर ऑनलाइन उपस्थिति का विरोध किया। साथ ही सोमवार से काली पट्टी बांधकर काम करने और 15 जुलाई को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया।
रविवार को प्रदेश भर के शिक्षकों ने इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराया। #boycottऑनलाइनहाजिरी सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड में रहा है। इस पर कल से चार लाख से ज्यादा ट्विट हो चुके हैं। शिक्षकों के विरोध को देखते हुए उन्हें हाजिरी लगाने में 30 मिनट की छूट दी गई है लेकिन इससे भी शिक्षकों का विरोध शांत होता नहीं दिख रहा है।
विभिन्न शिक्षक संगठन अलग-अलग तरह से अपना विरोध जता रहे हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता में लखनऊ में हुई बैठक में 11, 12 जुलाई को ब्लॉक स्तर पर शिक्षकों से बैठक कर आगे के आंदोलन का निर्णय लिया है। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने सोमवार को प्रदेश के सभी जिलों में डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने का ऐलान किया है। उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ ने भी डिजिटल अटेंडेंस का विरोध किया है। उत्तर प्रदेश महिला शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर ऑनलाइन उपस्थिति से पहले उनकी समस्याओं के समाधान का आग्रह किया है। सोमवार को कई शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर नए आदेश का विरोध किया।
क्या है आदेश?
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा विद्यालयों के डिजिटलीकरण के संबंध में 18 जून को जारी पत्र में प्रेरणा पोर्टल पर 'डिजिटल रजिस्टर' नाम से विकसित मॉड्यूल की जानकारी दी गई थी। प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रतिदिन विद्यालय आने और जाने का समय 15 जुलाई से डिजिटल अटेंडेंस रजिस्टर में दर्ज कराने का निर्देश दिया गया था। लेकिन बाद में ऑनलाइन अटेंडेंस 8 जुलाई से शुरू करने को कहा गया। शिक्षकों को स्कूल शुरू होने से पहले सुबह 7.45 से 8 बजे तक अपनी डिजिटल हाजिरी लगानी होगी। शिक्षकों के साथ-साथ बच्चों की हाजिरी भी ऑनलाइन लगेगी।
क्यों है विरोध?
ऑनलाइन हाजिरी का विरोध कर रहे शिक्षकों का कहना है कि सुदूर ग्रामीण इलाकों में बारिश-आंधी के दौरान कई बार स्कूल पहुंचना मुश्किल हो जाता है। इंटरनेट कनेक्टिविटी और सिग्नल की समस्या भी आती है। ऐसे में हाजिरी ना लगने से शिक्षकों का वेतन काटा जाएगा। शिक्षकों की मांगों और व्यावहारिक दिक्कतों पर विचार किए बगैर ऑनलाइन हाजिरी का आदेश जारी किया गया है। शिक्षकों का कहना है कि उनका विरोध हाजिरी को लेकर नहीं है, बल्कि मनमाने आदेश को लेकर है। उनकी 31 ईएल, हाफ डे लीव, कैशलेस चिकित्सा जैसी मांगों को पूरा नहीं किया गया, लेकिन नया आदेश थोप दिया।
लाखों ट्विट के बाद मिली 30 मिनट की छूट
ऑनलाइन हाजिरी के विरोध में लेकर सोशल मीडिया पर लाखों की तादाद में ट्विट और पोस्ट हुए, जिससे बेसिक शिक्षा विभाग और शीर्ष अधिकारियों में खलबली मचा गई। शिक्षकों के विरोध को देखते हुए विभाग ने हाजिरी लगाने में 30 मिनट की छूट देने का फैसला किया है। अब शिक्षक 8.30 बजे तक हाजिरी लगा सकेंगे। लेकिन उन्हें देरी का कारण बताना होगा।
बेसिक शिक्षा विभाग ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "हमें है आपकी समस्याओं का ख़याल, 30 मिनट बाद तक बना सकेंगे हाजिरी। परिषदीय विद्यालयों के डिजिटली हस्ताक्षर के आदेश दिये गये हैं। लेकिन अब निर्धारित समय से 30 मिनट बाद तक हाजिरी बनाने का मौका मिला है। बेसिक शिक्षा अधिकारियों और खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिये जा चुके हैं। हां, इतना जरूर है कि देर से स्कूल पहुँचने का कारण मेंशन करना होगा।"