युवा अगर वैज्ञानिक तरीके से डेयरी व्यवसाय करेंगे तो उन्हें ज्यादा लाभ मिलेगा। यह बात ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान (आरएसईटीआई) निदेशक दीपक कुमार ने डेयरी फार्मिंग एवं वर्मी कम्पोस्ट पर माटकी झरौली (सहारनपुर) में आयोजित 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि आरएसईटीआई ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रदान कर स्वरोजगार से जोड़ने के लिए प्रयासरत है। डेयरी व्यवसाय प्राचीन काल से देश की आर्थिक उन्नति की नींव रही है। यदि इस व्यवसाय को नई तकनीक एवं बेहतर प्रशिक्षण के साथ किया जाए, तो युवाओं को इसका लाभ जल्द मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण के बाद भी लगातार दो वर्षों तक युवाओं का मार्गदर्शन किया जाता है, ताकि उन्हें किसी भी तहत की दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं भारतीय आर्थिक सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ. महिपाल सिंह ने कहा कि भारत सरकार जनपद स्तर पर ग्रामीण युवाओं को आरएसईटीआई के माध्यम से प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि बदलते दौर में जैविक खाद की जरूरत दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। खाद का प्रभाव कई साल तक बना रहता है। डेयरी व्यवसाय का यह प्रशिक्षण आपकी सफलता की प्रथम सीढ़ी साबित होगी।
वहीं, कार्यक्रम के संयोजक अमित कुमार चौबे ने कहा कि 10 दिवसीय प्रशिक्षण में पशुओं की नस्ल रोग एवं निदान स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, जैविक खाद निर्माण, मार्केटिंग, मार्केट सर्वे के साथ-साथ खेती से जुड़े अन्य व्यवसाय के बारे में 29 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भी प्रशिक्षण में लिया हिस्सा। इस दौरान उन्हें कई सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई।