इस साल देश में भीषण गर्मी और हीटवेव का असर खेती पर भी पड़ रहा है। इस साल लगातार अधिक तापमान को जलवायु परिवर्तन के असर के रूप में देखा जा रहा है। गन्ना बेल्ट के नाम से मशहूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गन्ने की फसल लगातार गर्मी और लू के कारण झुलस गई है। गन्ने पर मौसम की यह मार काफी बड़े क्षेत्र में दिखाई पड़ रही है। जबकि यह इलाका नहरों और ट्यूबवैल से सिंचाई सुविधाओं से संपन्न है। फसलों पर गर्मी का यह प्रभाव पश्चिमी यूपी जैसे सिंचित क्षेत्र में पड़ रहा है। असिंचित क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है क्योंकि इस साल प्री-मानसून बारिश नहीं हुई और अब मानसून का इंतजार लंबा खिंच सकता है।
शामली जिले के भैंसवाल गांव के किसान और जिला पंचायत सदस्य उमेश पंवार का कहना है कि गन्ने की फसल पर भीषण गर्मी का प्रभाव पड़ा है। गन्ने की हरी पत्तियां झुलस गई हैं। ऐसा गन्ने की कुछ किस्मों में अधिक देखा जा रहा है जिनकी पत्तियां एकदम सूख गई हैं। गन्ने के अलावा हरे चारे और सब्जियों पर भी भीषण गर्मी की मार पड़ रही है।
शामली जिले में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. संदीप चौधरी ने रूरल वॉयस को बताया कि लगातर गर्मी और हीटवेव के कारण गन्ने की किस्म सीओ 0238 में सन बर्न का असर देखा जा रहा है। जिसके कारण पत्तियां सूख रही है। डॉ. चौधरी का कहना है कि ऐसा गन्ने की केवल एक किस्म में देखा गया है। बाकी वैरायटी में ऐसा नहीं है। जब लगातार कई दिनों तक तापमान सामान्य से अधिक रहता है तो गन्ना वैराएटी 0238 में सन बर्न हो जाता है। यह हीट स्ट्रेस है जो पहले भी होता रहा है। इसके लिए अलग से कोई उपाय करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने फसलों को गर्मी के प्रभाव से बचाने के लिए किसानों को आवश्यकता अनुसार सिंचाई करने की सलाह दी है।
शामली स्थित अपर दोआब शुगर मिल के महाप्रबंधक (गन्ना) सतीश बालियान बताते हैं कि लगातार अत्यधिक गर्मी और हीटवेव के कारण गन्ने की फसल में पानी की पूर्ति के लिए पत्तियां सूख रही हैं। यह कोई बीमारी या कीट का प्रकोप नहीं है बल्कि फसल पर भीषण गर्मी का प्रभाव है, जिसके कारण पिछले 15 दिनों से गन्ने की ग्रोथ रूकी हुई है। बालियान का मानना है कि पत्तियों का झुलसना गन्ने की दो वैरायटी सीओ 0238 और 98014 में देखा जा रहा है। इससे गन्ने की पैदावार पर कुछ ना कुछ असर जरूर पड़ेगा क्योंकि हीट स्ट्रेस बना हुआ है।
पिछले साल पश्चिमी यूपी में गन्ने की फसल पर रेड रॉट का प्रकोप रहा था, जिसके कारण गन्ने की पैदावार और चीनी रिकवरी प्रभावित हुई थी। गन्ने की कमी के चलते पश्चिमी यूपी की कई चीनी मिलों को पेराई सत्र समय से पहले पूरा करना पड़ा था। गन्ने की बेहतर वृद्धि और उत्पादन के लिए नम जलवायु आवश्यक है। तापमान लगातार 44 डिग्री से ऊपर रहने और हीटवेव के कारण सिंचित क्षेत्रों में भी फसलों पर गर्मी की मार पड़ रही है। इससे गन्ने की वृद्धि, पैदावार और मिठास में कमी आ सकती है।