हरियाणा में पराली को लेकर सख्ती, 26 अधिकारी-कर्मचारी सस्पेंड, 250 को नोटिस जारी

हरियाणा में पराली जलाने से रोकने में लापरवाही बरतने वाले 26 अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। 250 अधिकारियों व कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस देकर जवाब मांगा है।

हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार काफी सख्ती दिखा रही है। पराली की आग रोकने में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के निलंबन और कारण बताओ नोटिस जारी करने की कार्रवाई की जा रही है।   

गुरुवार को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हरियाणा विधानसभा सत्र के दौरान राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में 8 नवम्बर तक कुल 906 जगह पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं। इनमें से 22 घटनाएं आकस्मिक कारणों से हुई हैं। पिछले वर्ष इस अवधि तक पराली जलाने की 1649 घटनाएं हुई थीं। इस प्रकार पराली जलाने की घटनाओं में इस वर्ष 45 प्रतिशत की कमी आई है।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि अपनी जिम्मेदारी का सही ढंग से निर्वाह नहीं करने वाले नोडल अधिकारियों के विरुद्ध भी राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। सरकार ने ऐसे 26 अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित किया है। लगभग 250 अधिकारियों व कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस देकर उनसे जवाब भी मांगा है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है कि अधिकारियों को भी प्रदूषण फैलाने के प्रति जवाबदेह माना गया है।  

पराली प्रबंधन की योजना

इस वर्ष हरियाणा में लगभग 38 लाख 87 हजार एकड़ क्षेत्र में धान लगाया गया था। फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विस्तृत योजना बनाई गई है। 22 लाख 65 हजार टन पराली को चारे के रूप में उपयोग करने की योजना है। इसके अलावा, 33 लाख टन पराली का प्रबंधन खेतों में ही किया जा रहा है जबकि 25 लाख 39 हजार टन पराली का प्रयोग उद्योगों आदि में किया जा रहा है। फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत वर्ष 2024-25 में 268.।8 करोड़ रुपये की राशि की वार्षिक योजना मंजूर की गई है। इसमें 161 करोड़ रुपये केंद्र सरकार तथा 107 करोड़ रुपये की व्यवस्था राज्य सरकार ने की है।

पराली न जलाने के लिए पैसा  

सीएम सैनी ने कहा कि वर्ष 2023-24 में परानी न जलाने के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से 120 करोड़ रुपये की राशि एक लाख 10 हजार किसानों को दी गई। इस वर्ष 11 लाख 21 हजार एकड़ भूमि का किसानों ने अब तक पंजीकरण किया है। पंजीकरण के लिए पोर्टल 30 नवम्बर तक खुला है। दिसम्बर के पहले सप्ताह में सभी किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से राशि का भुगतान कर दिया जाएगा। 

मशीनों पर सब्सिडी

मुख्यमंत्री ने बताया कि पराली प्रबंधन के लिए हरियाणा में 8117 सुपरसीडर और 1727 गांठ बनाने वाली मशीनें दी गई हैं। वर्ष 2018-19 से अब तक राज्य में एक लाख 882 मशीनें किसानों को सब्सिडी पर दी जा चुकी हैं और 6,794 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किये गए हैं। उपकरणों पर कस्टम हायरिंग सेन्टर को 50 प्रतिशत तथा व्यक्तिगत किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। राज्य के किसानों को अब तक 721 करोड़ रुपये सब्सिडी के रूप में प्रदान किये जा चुके हैं।

फसल विविधीकरण पर जोर 

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार ने धान की जगह दूसरी फसलों की खेती को प्रोत्साहन देकर पराली की मात्रा भी कम की है। प्रदेश में धान के रकबे में लगभग 2 लाख एकड़ की कमी आई है। धान क्षेत्र में अन्य फसलें बोने पर 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से अनुदान दिया जाता है। चालू वित्त वर्ष में 33 हजार 712 किसानों ने 66 हजार 181 एकड़ भूमि का पंजीकरण फसल विविधिकरण के लिए करवाया है।

उद्योग व गौशालाओं में पराली का उपयोग

सीएम सैनी ने कहा कि उद्योगों को पराली की आपूर्ति करने के लिए 25 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है। अब तक उद्योगों से 110 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इसके अलावा, गौशालाओं में पराली की गठरों की ढुलाई के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ दिए जाते हैं। एक गौशाला को अधिकतम 15 हजार रुपये की राशि दी जाती है। पराली की खरीद हेतु 2500 रुपये प्रति टन की दर निर्धारित की गई है। इसमें गांठ बनाने से लेकर परिवहन तक का खर्च शामिल है। 

पराली से बिजली

खेतों में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए हरियाणा सरकार ने कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद एवं जींद में बायोमास परियोजनाएं स्थापित की हैं, जिनसे 30 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। पराली का उपयोग जैव ईंधन में भी किया जा रहा है। इसके लिए पानीपत रिफाइनरी में 2जी एथेनॉल प्लांट स्थापित किया गया है। 

सीएम सैनी ने हरियाणा के विधायकों से कहा कि पराली पर राजनीति न करें। बल्कि अपने इलाके में किसानों को समझाएं कि वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाये और पराली न जलाएं।