पंजाब-हरियाणा में धान की धीमी खरीद बनी परेशानी, सड़कों पर ढ़ेरी लगाने को मजबूर किसान

पंजाब-हरियाणा में धान की सरकारी खरीद सुचारू रूप से नहीं हो रही है जिससे किसान खासे परेशान हैं। किसानों का कहना है कि एक तो खरीद धीमी हो रही है, ऊपर से नमी और क्वालिटी के नाम पर धान की रिजेक्ट किया जा रहा है

पंजाब-हरियाणा में धान की सरकारी खरीद को शुरू हुए 10 दिन के ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी मंडियों में धान की खरीद सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है। हरियाणा में राइस मिलर्स और सरकार के बाद सहमति होने के बाद उन्होंने धान का उठान शुरू कर दिया है लेकिन किसानों का कहना है कि अभी स्थिति सामान्य नहीं है। इसी तरह पंजाब में मजदूरों और मिलर्स की हड़ताल खत्म होने के बाद भी किसान परेशान हैं।

हरियाणा के किसानों का कहना है कि मंडियों में केवल औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं, और सरकार नाममात्र की खरीद कर रही है। खरीदी गई फसल भी मंडियों में पड़ी है। इससे किसान सड़क पर धान डालने को मजबूर हैं और अधिकारी भी चुप्पी साधकर बैठे हैं। धान खरीद में आ रही दिक्कतों के चलते किसानों में काफी रोष है।  

पंजाब में 7 सितंबर को मजदूरों और मिलर्स की हड़ताल खत्म हुई थी। जिसके बाद मंगलवार से खरीद शुरू तो हुई, लेकिन किसानों को अभी भी बिक्री में दिक्कतें पेश आ रही हैं। किसानों का कहना है कि एक तो खरीद धीमी हो रही है, ऊपर से नमी और क्वालिटी के नाम पर धान की रिजेक्ट किया जा रहा है। जिससे किसान काफी परेशान है। 

पंजाब के भारतीय किसान यूनियन के नेता नछत्तर सिंह ने रूरल वॉयस बताया कि पंजाब में मजदूरों और मिलर्स की हड़ताल के कारण धान की खरीद में पहले ही देरी हो चुकी है। हड़ताल खत्म होने के बाद भी खरीद बहुत धीमी चल रही है। कई जगह बारिश के कारण धान को नुकसान हुआ है, और आढ़ती अधिक नमी के कारण धान नहीं खरीद रहे हैं।

पंजाब मंडी बोर्ड के सचिव रामवीर सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि मजदूरों और आढ़तियों की हड़ताल अब खत्म हो चुकी है। राज्य में मंगलवार से धान की खरीद जारी है। मंडियों में धान खरीद में देरी की कोई शिकायत अभी तक बोर्ड के पास नहीं आई है। उन्होंने कहा कि बुधवार को राज्य की 600 से अधिक मंडियों में धान आया, जिसमें से 425 मंडियों में खरीद हुई। हालांकि, नमी और गुणवत्ता को लेकर किसानों की कुछ शिकायतें हैं, लेकिन खरीद नियमों के अनुसार की जा रही है।


कुरुक्षेत्र में अनाज मंडी के बारह धान की ढेरी

हरियाणा राइस मिलर्स एसोसिएशन के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर रूरल वॉयस को बताया कि राज्य सरकार के आश्वासन के बाद मिलर्स ने धान का उठान शुरू कर दिया है। लेकिन मिलर्स की कई मांगें हैं, जिन पर अभी सरकार से सहमति नहीं बन पाई है। उन्होंने कहा कि मिलर्स चाहते हैं कि इन मांगों का जल्दी समाधान हो, ताकि खरीद सही तरीके से हो सके और मिलर्स भी धान की मिलिंग कर सकें।

हरियाणा के जिंद जिले के युवा किसान नेता आशोक धनोदा ने बताया कि राज्य में धान की सरकारी खरीद 27 सितंबर से शुरू है। रोजाना हजारों टन धान मंडियों में पहुंच रहा है, लेकिन अभी केवल 10 से 15 प्रतिशत ही खरीद हो रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव के चलते भी खरीद प्रक्रिया पर असर पड़ा और खरीद धीमी रही। लेकिन अब इसमें तेजी आई है। कई मंडियों में खरीद हो रही है, लेकिन उठान नहीं हो रहा, जिससे किसानों का धान खुले में पड़ा है। उन्होंने कहा कि बुधवार को हुई बारिश से कुरुक्षेत्र मंडी में खुले में पड़ा धान पानी में बह गया। उन्होंने कहा कि मंडियों में धान रखने के लिए जगह नहीं है, इसलिए किसान सड़कों पर धान की ढेर लगा रहे हैं। अब जब चुनाव खत्म हो गए हैं, तो उम्मीद है कि अगले 3-4 दिनों में धान की खरीद सही से होगी।


अनाज मंडी में भीगा खुले में पड़ा धान

गौरतलब है कि हरियाणा में पहले धान की खरीद 23 सितंबर से होनी थी, लेकिन सरकार ने अचानक तारीख बदलकर 1 अक्टूबर कर दी। जब किसान मंडियों में पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि खरीद की तारीख बढ़ा दी गई है। धान खरीद में हो रही देरी को लेकर किसानों ने अनाज मंडियों के बाहर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए। जिसके बाद सरकार को तारिख बदलनी पड़ी। 27 सितंबर से धान की खरीद शुरू तो हुई, लेकिन खरीददार न मिलने और मिलर्स की हड़ताल चलते किसानों को एक बार फिर परेशान होना पड़ा। इस दौरान हरियाणा में विधानसभा चुनाव के चलते भी खरीद धीमी रही। लेकिन, चुनाव खत्म होने के बाद भी किसान खरीद को लेकर परेशान नजर आ रहे हैं। दूसरी ओर पंजाब के किसान भी धीमी खरीद की बात कह रहे हैं।