मध्य प्रदेश में सोयाबीन की सरकारी खरीद के दाम को 6000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि वह 23 सितंबर को सिवनी मालवा में ट्रैक्टर तिरंगा मार्च निकालेंगे क्योंकि किसानों को सोयाबीन की सही कीमत नहीं मिल रही है। वहीं संयुक्त किसान मोर्चा, मध्य प्रदेश के बैनर तले 30 किसान संगठनों ने एक अक्टूबर को पूरे प्रदेश में चक्का जाम करने का ऐलान किया है। इस बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में राकेश टिकैत ने कहा कि मध्य प्रदेश में सोयाबीन किसानों को अपनी फसल 3500 रुपये से 4000 रुपये प्रति क्विटंल पर बेचनी पड़ रही है। सरकार ने 4892 रुपये प्रति क्विटंल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय किया। यह एमएसपी किसानों की लागत से कम है। इसलिए किसान सोयाबीन के लिए अधिक दाम की मांग कर रहे हैं। इसके लिए सिवनी मालवा में 23 सितंबर को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा और वह उसमें शामिल होंगे।
राकेश टिकैत ने कहा कि कुछ संगठनों ने एक अक्तूबर को इस मुद्दे पर चक्का जाम का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा उस चक्का जाम का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की कम कीमतों को लेकर अलग-अलग संगठन अपना आंदोलन कर रहे हैं। कुछ राजनीतिक लोग भी इससे जुड़े हैं, जो इसे राजनीतिक बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति से प्रेरित जो भी लोग इस आंदोलन में शामिल हैं, वह अपना आंदोलन अलग से चलाएं। ऐसे लोग किसानों के आंदोलन में शामिल न हों, इससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है। उन्होंने कहा कि एसकेएम लगातार सोयाबीन के मुद्दे पर किसानों की आवाज उठा रहा है। सोयाबीन का दाम फिलहाल काफी कम है। सरकार इसमें तुरंत संज्ञान ले।
संयुक्त किसान मोर्चा, मध्य प्रदेश के सदस्य राम इनानिया ने राकेश टिकैत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रूरल वॉयस को बताया कि एक अक्टूबर को होने वाले चक्का जाम का फैसला संयुक्त किसान मोर्चा, मध्य प्रदेश की ओर से लिया गया है। जिसमें प्रदेश के 30 किसान संगठन शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत का बयान संयुक्त किसान मोर्चा, दिल्ली को ओर से आया है। इससे उनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि एक अक्टूबर को प्रदेश में हर हाल में चक्का जाम होगा। किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदेशभर में हाईवे जाम करेंगे। यह तीन घंटे का सांकेतिक चक्का जाम होगा। इसके साथ ही 24 से 30 सितंबर तक गांव-गांव मशाल जुलूस भी निकाले जाएंगे।
भारतीय किसान संघ भी सोयाबीन का दाम 6000 रुपये करने की मांग कर रहा है, लेकिन उनका आंदोलन अलग चल रहा है। सोयाबीन की कम कीमतों के खिलाफ किसानों ने सोशल मीडिया पर भी मुहिम छेड़ रखी है। केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन 2024-25 के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि किसान 6,000 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं। प्रदेश में हाल ही में सोयाबीन की कीमतें 10 साल पुराने स्तर पर आ गई थीं, जहां मंडियों में भाव 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया था। हालांकि कीमतों में अब कुछ सुधार हुआ है और कीमतें 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच हैं, लेकिन यह अब भी एमएसपी से कम हैं।