उत्तराखंड की उन सहकारी समितियों के खिलाफ एसआईटी जांच के निर्देश दे दिये गये हैं, जिनमें वित्तीय अनियमितता पाई गई हैं। राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि समितियों के वित्तीय लेन-देन में गड़बड़ी करने वाले विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। समितियों में कम्प्यूटराइजेशन के फलस्वरूप बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी के मामले उजागर हो रहे हैं।
डॉ. धन सिंह रावत ने बताया है कि विभागीय जांच में जिन सहकारी समितियों में वित्तीय अनियमितता व गबन के मामले पाए गये हैं, उन समितियों के खिलाफ एसआईटी जांच की जाएगी, जिसके उच्च स्तरीय निर्देश दे दिए गये हैं। उन्होंने बताया कि समय-समय पर उन्हें विभिन्न माध्यमों से सहकारी समितियों में वित्तीय लेन-देन में गड़बड़ी की सूचानएं मिल रही थी, जिस पर उन्होंने पूर्व में विभागीय जांच के निर्देश अधिकारियों को दिये थे।
प्रथम चरण की विभागीय जांच में प्रदेश भर की कई समितियों में वित्तीय गड़बड़ी व गबन के मामले सामने आये। इनमें पौड़ी जनपद में डाण्डामंडी व चांदपुर एम्पैक्स, देहरादून जनपद में विकासनगर, त्यूणी, दसऊ व भानियावाला एम्पैक्स, रूद्रप्रयाग में दैड़ा बहुउद्देश्यीय साधन सहकारी समिति, टिहरी में मेगाधार (भिलंगना), बड़कोट (जाखणीधार), सांदणा (जाखणीधार), पडिया, रौणिया (प्रतापनगर) एम्पैक्स, अल्मोड़ा में फलसीमा व भवाली एम्पैक्स, हरिद्वार में बहुउद्देश्यीय किसान सेवा सहकारी समिति बेल्डा, मंगलौर पूर्वी, खेलपुर, बहुउद्देश्यीय साधन सहकारी समिति जवाहरखान, खेडी सिकोहपुर, जवाहरखान मौ0 बुजुर्ग, धनपुरा, बहुउद्देश्यीय प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समिति सलेमपुर, चमोली में मसोली एम्पैक्स, उत्तरकाशी में जखौल एम्पैक्स, नैनीताल में ल्योलीकोट व सुयालवाड़ी और ऊधमसिंह नगर में फौजीमटकोटा किसान सेवा सहकारी समिति, रूद्रपुर शामिल हैं।
सहकारिता मंत्री ने बताया कि जांच में समितियों के वित्तीय लेन-देन में विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को भी दोषी पाया गया। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाही करने तथा गबन की गई धनराशि को ब्याज के साथ वसूने के निर्देश दे दिये गये हैं। डॉ. रावत ने कहा कि सहकारिता विभाग में भ्रष्टचार कतई भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिन भी समितियों में गड़बड़ी सामने आएगी, उनकी एसआईटी जांच की जाएगी। ताकि घोटाले और घपलेबाजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर समितियों का संचालन पारदर्शिता से किया जा सके और आम लोगों को सहकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सके।