योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को लखनऊ के गोमतीनगर स्थित अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में दूसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ दो उपमुख्यमंत्री और 50 अन्य मंत्रियों ने भी शपथ ली। लेकिन इस शपथ ग्रहण समारोह की खास बात यह रही कि पिछली योगी सरकार के कई बड़े चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया।
योगी की नई कैबिनेट में जिन नामों को जगह नहीं मिल पाई उनमें दिनेश शर्मा, सिद्धार्थ नाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना और रमापति शास्त्री भी शामिल हैं। दिनेश शर्मा पिछली सरकार में उप मुख्यमंत्री थे लेकिन इस बार उनकी जगह ब्राह्मण चेहरा बृजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। दिनेश शर्मा उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं।
एक खास बात यह भी है कि गाजियाबाद और कानपुर उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। यहां से किसी भी विधायक को मंत्री पद नहीं मिला है। यही नहीं, पिछली योगी सरकार में जिन मंत्रियों के पास आर्थिक और उद्योग से जुड़े विभाग थे उन्हें इस बार मंत्रिपरिषद से बाहर रखा गया है।
श्रीकांत शर्मा कुछ दिनों पहले तक प्रदेश के ऊर्जा मंत्री थे और सिद्धार्थ नाथ सिंह के पास एमएसएमई मंत्रालय का जिम्मा था। यह दोनों अब सिर्फ विधायक रहेंगे। इसी तरह सतीश महाना जो कानपुर के महाराजपुर क्षेत्र से चुनकर आए हैं उन्हें भी कोई मंत्रालय नहीं मिला है। पिछली सरकार में उनके पास उद्योग विभाग की जिम्मेदारी थी।
रमापति शास्त्री गोंडा जिले के मनकापुर से भाजपा विधायक हैं। पिछली सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे शास्त्री को इस बार मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है। इसी तरह जय प्रताप सिंह, रामनरेश अग्निहोत्री, आशुतोष टंडन, नीलकंठ तिवारी और महेंद्र सिंह भी मंत्रिपरिषद में जगह पाने में नाकाम रहे हैं।
पिछली मंत्रिपरिषद में मोहसिन रजा एकमात्र मुस्लिम मंत्री थे। इस बार उनकी जगह दानिश आजाद अंसारी एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं। इसके अलावा मुकुट बिहारी वर्मा और स्वाति सिंह समेत कई मंत्रियों को भारतीय जनता पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था।