उत्तराखंड में मिलेट्स, कीवी और ड्रैगेन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियों और योजनाओं को मंजूरी

पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड मिलेट्स पॉलिसी, उत्तराखंड कीवी नीति, ड्रैगेन फ्रूट खेती की योजना और सेब उत्पादन योजना के जरिए खेती और बागवानी में नए प्रयोगों की ओर कदम बढ़ाया है। सरकार का दावा है कि इन नीतियों और योजनाओं से राज्य में तीन लाख से अधिक किसानों का लाभ मिलेगा। 

- देहरादून से संजीव कंडवाल

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की खेती में अब तक ज्यादा प्रयोग नहीं हो पाए हैं। इस कारण किसान परम्परागत फल और फसलें ही उगाते हैं। दूसरी तरफ क्लाइमेंट चेंज के चलते परंपरागत फलों और फसलों का उत्पादन कम हो रहा है। वहीं, फसलों को जंगली जानवरों से बचाना भी बहुत चुनौतीपूर्ण काम है। 

अब उत्तराखंड सरकार, किसानों को नकदी फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है। इसी क्रम में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने उत्तराखंड मिलेट्स पॉलिसी, उत्तराखंड कीवी नीति, ड्रैगेन फ्रूट खेती की योजना और सेब उत्पादन योजना के जरिए खेती व बागवानी में नए प्रयोगों की ओर कदम बढ़ाया है। सरकार का दावा है कि इन नीतियों और योजनाओं से राज्य में तीन लाख से अधिक किसानों का लाभ मिलेगा। 

उत्तराखंड के कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि बारहनाजा मिलेट्स उत्तराखंड की पहचान रहे हैं। अब राज्य सरकार मंडुवा, कौणी, झंगोरा जैसे मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड मिलेट्स पॉलिसी 2025-26 लाई है जो 11 पर्वतीय जनपदों में लागू होगी। पर्वतीय क्षेत्रों को फल-पट्टी के रूप में विकसित करने के लिए कीवी व ड्रैगन फ्रूट्स के उत्पादन की शुरुआत तथा सेब उत्पादन के विस्तार के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार उत्तराखंड कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट्स खेती योजना, मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना और सेब की तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना लाई है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से पहाड़ में स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा मिलेगा और पलायन जैसी समस्या की रोकथाम में मदद मिलेगी।  

उत्तराखंड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी 2025-26

उत्तराखंड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी के तहत राज्य सरकार ने वर्ष 2030-31 तक 11 पर्वतीय जिलों के लिए कुल 134.89 करोड रुपये की कार्ययोजना पर मुहर लगाई है। पहले चरण में 2027-28 तक 24 विकास खण्डों में 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल और दूसरे चरण में 2028-29 से 2030-31 तक 44 विकास खण्डों में 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मिलेट्स की खेती का विस्तार किया जाएगा। इसमें मण्डुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी एवं चीना फसलों को सम्मिलित किया गया है। चयनित मिलेट फसलों के बीज एवं जैव उर्वरक को 80 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को वितरित किया जाएगा।

मिलेट्स पॉलिसी के तहत किसानों को मिलेट्स की बुवाई करने पर प्रोत्साहन धनराशि दी जाएगी। पंक्ति बुवाई के लिए 4000 प्रति हेक्टेयर और सीधी बुवाई पर 2000 रुपये प्रति हेक्टेयर की प्रोत्साहन धनराशि मिलेगी। किसानों के समूह को मिलेट्स फसलें अपनाने पर 150 रुपये प्रति क्विंटल के स्थान पर 300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान किया जायेगा।

प्रत्येक वर्ष विकास खण्ड स्तर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले दो किसानों या समूहों को पुरस्कृत किया जाएगा। साथ ही प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर एक मिलेट प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जाएगी। योजना के तहत 3 लाख से अधिक किसानों को लाभ देने का लक्ष्य है। मिलेट्स फसलों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में न्यूट्री हब की एक परियोजना प्रबंधन ईकाई गठित की जाएगी। श्रीअन्न फूड पार्क की स्थापना भी करेगी।

उत्तराखंड कीवी नीति

उत्तराखंड कीवी नीति वर्ष 2030-31 तक छह वर्षों के लिए प्रभावी रहेगी। इसके तहत राज्य सरकार कीवी उद्यान के लिए कुल लागत 12 लाख रुये प्रति एकड़ का 70 प्रतिशत सब्सिडी के तौर पर प्रदान करेगी। यह नीति भी हरिद्वार एवं उधमसिंहनगर को छोड़कर राज्य के शेष 11 जनपदों में लागू होगी। कीवी पॉलिसी के अन्तर्गत कुल 894 रुपये करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसके तहत 3500 हेक्टेयर क्षेत्र में कीवी उगाने का लक्ष्य है, जिससे करीब 17500 किसान लाभान्वित होंगे। वर्तमान में, राज्य के लगभग 683 हेक्टेयर क्षेत्र में सालाना 382 टन कीवी का उत्पादन किया जा रहा है। अगले छह वर्षों में इसे बढ़ाकर 33 हजार टन और उत्पादकता को लगभग 08 टन प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य है।

ड्रैगन फूट खेती योजना

आधुनिक पद्धति के माध्मम से ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास योजना के अन्तर्गत ड्रैगन फूट खेती की योजना स्वीकृत की गई है। योजना के तहत सात जनपदों - उधमसिंहनगर, हरिद्वार, नैनीताल, बागेश्वर, पौड़ी, देहरादून, टिहरी में ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। योजना के तहत वर्ष 2027-28 तक तीन वर्ष के लिए 15 करोड़ की धनराशि प्रस्तावित की गई है। इससे 450 किसान लाभांवित होंगे।

प्रस्तावित योजना में उद्यान स्थापना के लिए 08 लाख प्रति एकड़ की लागत के हिसाब से 80 प्रतिशत सब्सिडी का प्रावधान है, जबकि शेष 20 प्रतिशत खर्च किसानों द्वारा वहन किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2027-28 तक प्रदेश में कुल 228 एकड क्षेत्र में ड्रैगन फ्रूट की खेती का लक्ष्य है, जिसमें 12 से 15 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पादकता रहेगी। वर्तमान में राज्य के लगभग 35 एकड़ क्षेत्रफल में 70 टन ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन किया जा रहा है।

सेब तुड़ाई उपरान्त प्रबंधन योजना

सेब तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना के तहत वित्त वर्ष 2031-32 तक कुल 129.97 करोड़ की धनराशि का प्रावधन किया गया है, जिससे 22 सीए स्टोरेज और 180 सार्टिंग ग्रेडिंग इकाईयों की स्थापना की जाएगी। यह योजना 11 पर्वतीय जनपदों के 76 विकासखण्डों में संचालित होगी। इसके तहत सार्टिंग ग्रेडिंग इकाई स्थापना के लिए मदद दी जाएगी। कंट्रोल एटमॉस्फियर कोल्ड स्टोरेज (CA Storage) के लिए कुल 50% और अधिकतम कुल 4 करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सीए स्टोरेज के लिए स्वयं की भूमि होनी चाहिए या 30 वर्षों की लीज होनी चाहिए। सार्टिंग ग्रेडिंग इकाई के लिए स्वयं की भूमि होनी चाहिए या 15 वर्षों की लीज होनी चाहिए। योजना के तहत 22 सीए स्टोरेज और 180 सार्टिंग ग्रेडिंग इकाई स्थापना का लक्ष्य है। राज्य सरकार ने अगले 07 वर्षों में सेब की अति सघन बागवानी योजना के तहत 5000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 25 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार होगी।