तमिलनाडु के कृषि मंत्री एमआरके पन्नीरसेल्वम ने मंगलवार को विधानसभा में 2024-25 के लिए अलग कृषि बजट पेश किया। राज्य सरकार ने कृषि और अन्य संबंधित विभागों के लिए 42,281 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसमें 10,500 करोड़ रुपये खाद्य सब्सिडी के लिए हैं, वहीं तमिलनाडु सरकार की धान खरीद के लिए प्रोत्साहन के रूप में 500 करोड़ रुपये आवंटित किए जाएंगे।
कृषि मंत्री पन्नीरसेल्वम ने कहा कि सरकार किसानों को टैरिफ-मुक्त बिजली आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए राज्य डिस्कॉम तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन (TANGEDCO) को 7,280 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। कृषि मंत्री ने कहा, "द्रमुक सरकार के सत्ता में आने के बाद से किसानों को लगभग 1.50 लाख बिजली कनेक्शन दिए गए हैं, 50 हजार कनेक्शन और दिए जा रहे हैं।"
2024-2025 के लिए फसल ऋण वितरण का लक्ष्य 16,500 करोड़ रुपये तय किया गया है। दक्षिणी जिलों में प्राकृतिक आपदाओं के कारण उपज के नुकसान के लिए 2.74 लाख किसानों को 208.20 करोड़ रुपये की इनपुट सब्सिडी शीघ्र ही वितरित की जाएगी। जिन किसान जिन्होंने 2023-2024 पेराई सत्र के लिए चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति की है, उन्हें केंद्र द्वारा घोषित एफआरपी के अलावा 215 रुपये प्रति मीट्रिक टन का पहली बार विशेष प्रोत्साहन (एसआई) का भुगतान किया जाएगा।
रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देने और मिट्टी की उर्वरता सुधारने के लिए मुख्यमंत्री मन्नुयिर काथु मन्नुयिर कप्पोम योजना (सीएम एमके एमकेएस) शुरू करने का ऐलान किया गया। इसके लिए 206 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। योजना के तहत हरी खाद और वर्मीकंपोस्ट के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही नीम जैसे पेड़ उगाने का अभियान छेड़ा जाएगा। तमिलनाडु सरकार औषधीय गुणों वाली पारंपरिक धान की खेती को भी बढ़ावा देगी। नेल जयारमन मिशन के तहत पारंपरिक धान की किस्मों के बीज किसानों को वितरित किए जाएंगे।
जलवायु परिवर्तन के संकट का सामना करने के लिए सरकार जलवायु स्मार्ट गांव विकसित करेगी। राज्य के 15,280 राजस्व गांवों में एक गांव-एक फसल योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत राज्य सरकार हर गांव में किसी एक फसल पर विशेष ध्यान देगी। कलैगनारिन ऑल विलेज इंटीग्रेटेड एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत हर गांव को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए परती भूमि को खेती योग्य भूमि में परिवर्तित किया जाएगा। 2024-2025 में यह योजना 2,482 चयनित ग्राम पंचायतों में 200 करोड़ रुपये के बजट से लागू की जाएगी।