पंजाब में धान की धीमी खरीद को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) 13 अक्टूबर को पूरे राज्य में चक्का जाम करेगा। शुक्रवार को चंडीगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम), राइस मिलर्स और आढ़तियों की एक संयुक्त बैठक हुई। बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बात का ऐलान किया। पंजाब में धान की धीमी खरीद को लेकर किसानों में काफी रोष है।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि आज 11 अक्टूबर हो गई है और 10 दिन बीत जाने के बाद भी धान की सरकारी खरीद सुचारू रूप से नहीं हो रही है। किसानों की समस्याओं को देखते हुए एसकेएम ने निर्णय लिया है कि 13 अक्टूबर को पूरे पंजाब में 3 घंटे के लिए सड़कें जाम की जाएंगी और धान खरीद में हो रही देरी का विरोध किया जाएगा।
राजेवाल ने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब अक्टूबर के 10 दिन बीत चुके हैं और धान की खरीद शुरू नहीं हो पाई है। इसके लिए पंजाब और दिल्ली दोनों सरकारें जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि पंजाब के गोदामों में अभी भी धान का पुराना स्टॉक बचा हुआ है, जिस वजह से मिलर्स धान नहीं खरीद रहे हैं। सरकार को जल्द से जल्द गोदामों में जगह खाली करानी चाहिए ताकि नई फसल का भंडारण हो सके। उन्होंने कहा कि 13 अक्टूबर को चक्का जाम के बाद 14 अक्टूबर को सभी संगठनों की एक और संयुक्त बैठक होगी, जिसमें सरकार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
गौरतलब है कि पंजाब में धान की सरकारी खरीद वैसे तो 1 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है, लेकिन राइस मिलर्स और आढ़तियों की हड़ताल के चलते राज्य में धान की खरीद सुचारू रूप से नहीं हो पा रही थी। मिलिंग रेट और जगह की कमी जैसी मांगों के कारण राइस मिलर्स ने धान उठाने से इंकार कर दिया था। हालांकि, 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ बैठक के बाद मिलर्स ने हड़ताल खत्म कर दी थी। 7 अक्टूबर को आढ़तियों ने भी हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था। सरकार ने मिलर्स और आढ़तियों को आश्वासन दिया है कि उनकी सभी मांगें केंद्र सरकार के सामने रखी जाएंगी और उन्हें जल्द पूरा करने के लिए काम किया जाएगा।
राइस मिलर्स और मजदूरों की हड़ताल खत्म होने के बावजूद किसानों को धान बेचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का आरोप है राज्य में धान की सरकारी खरीद 1 अक्टूबर को शुरू हुई थी, लेकिन 10 दिन बाद भी किसानों से धान की खरीदा नहीं हो रही है। कुछ मंडियों में जहां खरीद हो भी रही है, वहां भी यह प्रक्रिया बहुत धीमी है, जिससे किसानों को काफी परेशानी हो रही है।