हिमाचल प्रदेश में इन दिनों बारिश न होने से सूखे जैसे हालात बन गए हैं। राज्य में पिछले डेढ़ महीने से बारिश नहीं हुई है, जिसका असर अब खेती और बागवानी पर पड़ने लगा है। बारिश नहीं होने के कारण किसान रबी फसलों की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं। गेहूं समेत अन्य नगदी फसलों की बुवाई के लिए राज्य के अधिकतर किसान बारिश पर निर्भर रहते हैं लेकिन फिलहाल नवंबर महीने में बारिश की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। अगर अगले 10 से 15 दिनों में बारिश नहीं होती है, तो इससे फसलों के उत्पादन पर असर पड़ सकता है। बारिश नहीं होने से किसानों और बागवानों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।
शिमला स्थित मौसम केंद्र के अनुसार, एक अक्टूबर से 21 नवंबर के बीच राज्य में 98 फीसदी कम बारिश हुई है। इस अवधि के दौरान राज्य में औसतन 36.5 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन अब तक सिर्फ 0.7 मिमी बारिश ही रिकॉर्ड की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, 22 नवंबर से एक पश्चिमी विक्षोभ हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करेगा लेकिन इसका असर राज्य में बहुत कम होगा।
राज्य कृषि विभाग की निदेशक कुमुद सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि प्रदेश में 80 फीसदी खेती बारिश पर निर्भर करती है जबकि 20 प्रतिशत क्षेत्रों में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है। ऐसे में प्रदेश के किसानों और बागवानों के लिए बारिश काफी मायने रखती है। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा है, वहां बुवाई शुरू हो गई जबकि अन्य क्षेत्रों में बारिश नहीं होने के कारण बुवाई में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
कांगड़ा जिले के करौंथी गांव के किसान बालक राम ने रूरल वॉयस को बताया कि बारिश नहीं होने के कारण वह अब तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाए हैं। जमीन अभी भी ठोस है और बुवाई के लिए यह थोड़ी नरम होनी चाहिए। ऐसे में बारिश बेहद जरूरी है लेकिन बारिश नहीं होने के कारण बुवाई में देरी हो रही है।
हिमाचल के किसान नेता और राज्य फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने बताया कि प्रदेश में बारिश नहीं होने से सूखे जैसे हालात बन गए हैं। हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है और यहां सिंचाई की कोई खास व्यवस्था नहीं है। प्रदेश के अधिकतर किसान और बागवान सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं लेकिन मानसून खत्म होने के बाद से राज्य में बारिश नहीं हुई है, जिससे किसानों और बागवानों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं।
हरीश चौहान ने कहा कि बारिश नहीं होने के कारण रबी फसलों की बुवाई में देरी हो रही है और जहां बुवाई हुई भी है, वहां फसलें सूखने लगी हैं। उन्होंने कहा कि बारिश नहीं होने से अब सेब के बगीचे भी सूखे की चपेट में आ गए हैं। कई जगहों पर सेब के पेड़ों की छाल उखड़ने लगी है, जिससे इनमें रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि अगर नवंबर के अंत तक बारिश नहीं होती है तो इससे फसलों के उत्पादन पर असर पड़ सकता है।