पंजाब सरकार द्वारा चालू पेराई सीजन (2023-24) के लिए गन्ना के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में 11 रुपये की बढ़ोतरी से राज्य के किसान संगठन संतुष्ट नहीं हैं। किसान नेताओं ने इसे "धोखा" करार दिया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री की घोषणा से नाराज किसानों ने संयुक्त गन्ना संघर्ष कमेटी की अगुवाई में होशियारपुर जिले में मुकेरियां चीनी मिल के सामने प्रदर्शन किया। किसान गन्ने से भरी ट्रॉलियां लेकर पहुंचे और जालंधर-पठानकोट नेशनल हाईवे जाम कर दिया। शनिवार को भी मुकेरियां में किसानों का धरना-प्रदर्शन जारी रहा। ताजा जानकारी के अनुसार, पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को जबरन उठाकर जाम खुलवाया। इस दौरान कई किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 11 रुपये की बढ़ोतरी को शुभ शगुन बताते हुए देश में गन्ना किसानों को सबसे ज्यादा 391 रुपये भाव देने का ऐलान किया था। इस फैसले को आम आदमी पार्टी अपनी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित कर रही है, लेकिन पंजाब के किसान इससे संतुष्ट नहीं हैं। पंजाब के कई इलाकों में गन्ना किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
बीकेयू लाखोवाल के नेता नछत्तर सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि दो साल पहले गन्ने की लागत 388 रुपये प्रति क्विंटल के आधार पर किसान गन्ना का भाव 450 रुपये करने की मांग कर रहे थे। अब दो साल बाद भी गन्ना का भाव मात्र 11 रुपये बढ़कर 391 रुपये हुआ है। यह बेहद मामूली बढ़ोतरी है। केंद्र सरकार को भी गन्ने का एमएसपी 315 रुपये से बढ़ाकर 415 रुपये करना चाहिए।
बीकेयू (दोआबा) के अध्यक्ष मंजीत सिंह राय ने मीडिया से कहा कि कहा, "गन्ना मूल्य में 11 रुपये की बढ़ोतरी किसानों के साथ धोखा है। हम इस बढ़ोतरी को सिरे से खारिज करते हैं। पिछले हफ्ते चंडीगढ़ में बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि हरियाणा ने हाल ही में गन्ने के दाम में 14 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। पंजाब में 14 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी होगी। इसलिए, हम अधिक बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे थे। जब तक सरकार गन्ना मूल्य में उचित बढ़ोतरी नहीं करती है, किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
पंजाब के किसान राज्य में चीनी मिलों के नहीं चलने से भी नाराज हैं। इस साल पंजाब में भारी बारिश और बाढ़ के कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। क्षतिग्रस्त फसलों के मुआवजे के लिए भी किसानों को संघर्ष करना पड़ रहा है। गन्ना मूल्य बढ़ाने को लेकर पिछले सप्ताह किसानों ने जालंधर में नेशनल हाईवे जाम कर दिया था। मुख्यमंत्री मान के आश्वासन के बाद किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त करने का फैसला किया था। अब फिर से किसान और सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है।