विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एक सप्ताह चलने वाली “अनार शोध यात्रा” में राजस्थान के जोधपुर और बाड़मेर जिलों के तीन एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) से जुड़े दो दर्जन से ज्यादा किसान शामिल हुए हैं। ये किसान देश में अनार पर किए जा रहे शोध, उच्च गुणवता उत्पादन, प्रसंस्करण और निर्यात से संबंधित प्रमुख सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों का दौरा करेंगे। इसके साथ ही महाराष्ट्र के पुणे, बारामती और शोलापुर के प्रमुख अनार उत्पादन क्षेत्रों, प्रगतिशील किसानों के बगीचों व इन किसानों से मिलकर प्रयोगात्मक जानकारी लेंगे। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की कृषि क्षेत्र विकास विभाग द्वारा संचालित कृषि निर्यात प्रोहत्सान केंद्र और साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर, जोधपुर द्वारा इस यात्रा का संचालन किया जा रहा है।
“अनार शोध यात्रा" में बुड़ीवाड़ा से शिव किसान प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, गुड़ामालानी से अनंदित किसान उत्पादक संगठन और बाप से मरू उनन्ती किसान उत्पादक संगठन से जुड़े किसान हिस्सा ले रहे हैं। नाबार्ड, जोधपुर के जिला विकास प्रबंधक मनीष मंडा का कहना है कि कृषि निर्यात प्रोत्साहन केंद्र द्वारा आयोजित "अनार शोध यात्रा" एक अनूठी पहल है जिसका लाभ निश्चित रूप से पश्चिमी राजस्थान के किसानों को मिलेगा। साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के डॉ. भागीरथ चौधरी ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान अनार उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभर रहा हैं। यहां के प्रगतिशील अनार उत्पादकों को आधुनिक बागवानी तकनीक एवं व्यवहारिक जानकारी देना जरूरी है। इस यात्रा का मुख्य मकसद राजस्थान के प्रगतिशील किसानों को अनार उत्पादन की आधुनिक तकनीक का अध्ययन करवाना है। इसी के तहत महाराष्ट्र के शोलापुर और बारामती क्षेत्र के अनार बगीचों एवं राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र, शोलापुर में भ्रमण, अनार विशेषज्ञों एवं कृषकों से संवाद, चर्चा एव रूबरू हो कर कृषि ज्ञान का आदान-प्रदान किया जाएगा।
बाड़मेर के नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक महेंद्र सिंह उमट का कहना है कि पश्चिम राजस्थान के थार क्षेत्र का यह रेगिस्तान तेल उत्पादन के बाद अनार उत्पादन में अपनी नई पहचान कायम कर रहा है। नाबार्ड और कृषि निर्यात संवर्धन केंद्र ने "अनार शोध यात्रा" द्वारा इस दिशा में एक नया कदम बढ़ाया है। राजस्थान के बाड़मेर, जालोर, सिरोही व जोधपुर जिले अनार उत्पादन के मुख्य हब बनकर उभर रहे हैं। यहां के अनार किसान आधुनिक तकनीकें अपना रहे हैं लेकिन अनार का आकार, फलों का फट जाना, कुछ बीमरियां, इसके स्थायित्व, गुणवत्ता, मूल्य संवर्द्धन और निर्यात पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र के शोलापुर और पुणे में अनार अनुसंधान, कीटनाशक अवशेष प्रबंधन प्रयोगशाला एवं प्रसंस्करण केंद्र, अनार मार्केट और निर्यात संस्थान तथा कृषि विज्ञान केंद्र, बारामती को चुना गया है।
महाराष्ट्र में देश के कुल अनार उत्पादन का 65 फीसदी उत्पादन होता है। शोलापुर सर्वाधिक उत्पादन करने वाला जिला है। देश में 2.76 लाख हेक्टेयर में कुल 315 लाख मीट्रिक टन अनार का उत्पादन होता है। राजस्थान में अनार का उत्पादन 12 हजार हेक्टेयर में 82 हजार मीट्रिक टन है जो राष्ट्रीय औसत उत्पादकता का लगभग आधे के बराबर है। राजस्थान में अनार उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। जरूरत इस बात की है कि किसानों को उच्चतम गुणवत्ता वाले टिश्यू कल्चर, भगवा सिंधुरी किस्मों की पौध उपलब्ध कराई जाए, उत्पादन की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाए और अनार प्रसंस्करण, मूल्य संवर्द्धन और निर्यात की श्रृंखला से जोड़ा जाए।