बेंगलुरु में अमूल की एंट्री की घोषणा ने राजनीतिक विवाद का रूप ले लिया है। प्रमुख विपक्षी दलों कांग्रेस और जेडीएस सहित स्थानीय लोगों और होटल संगठन बृहत बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सत्तारूढ़ भाजपा स्थानीय लोकप्रिय ब्रांड नंदिनी को खत्म करने की साजिश कर रही है। वहीं भाजपा ने इसे विपक्ष द्वारा फैलाया जा दुष्प्रचार बताया है। अमूल ब्रांड नाम से डेयरी उत्पाद बेचने वाला गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (GCMMF) देश का सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है, जबकि नंदिनी ब्रांड कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) का है जो देश का दूसरा सबसे बड़ा डेयरी कोऑपरेटिव है।
कांग्रेस और जेडीएस ने जहां घोषणा कर दी है कि वे अमूल की एंट्री नहीं होने देंगे, वहीं बृहत बेंगलुरु होटल्स एसोसिएशन ने कहा है कि वे अमूल के उत्पादों का इस्तेमाल नहीं करेंगे। कर्नाटक के किसानों के समर्थन में सिर्फ नंदिनी ब्रांड का ही उपयोग करेंगे। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष पीसी राव ने सभी होटलों को निर्देश दिया है कि वे कर्नाटक के डेयरी किसानों और नंदिनी के समर्थन में कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के उत्पादों का ही इस्तेमाल करें।
सूत्रों से रूरल वॉयस को मिली जानकारी के मुताबिक, अमूल अभी बेंगलुरु में सिर्फ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री करेगी। यह विवाद काफी चौंकाने वाला है क्योंकि कर्नाटक में अमूल की मौजूदगी वर्ष 2015 से ही है। हुबली और धारवाड़ इलाके में तब से अमूल के डेयरी उत्पादों की बिक्री हो रही है। जबकि नंदिनी के उत्पादों की बिक्री कर्नाटक से बाहर मुंबई, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, केरल और गोवा तक में हो रही है। जहां तक बाजार पर कब्जे की बात है तो जब नंदिनी कर्नाटक से बाहर कारोबार फैला सकती है तो अमूल क्यों नहीं। यह कानूनी तौर पर और बाजार नियमों के मुताबिक कहीं से भी गलत नहीं है। शायद नंदिनी को डर है कि अमूल की आक्रामक मार्केटिंग उसके कारोबार के लिए खतरा पैदा साबित हो सकती है। शायद इसलिए कर्नाटक में होने वाले आगामी चुनावों को देखते हुए इसे भावनात्मक मुद्दा बना दिया गया है और इसे राजनीतिक रंग दे दिया गया है।
नंदिनी के एक लीटर टोन्ड दूध का दाम 39 रुपये है, जबकि अमूल का टोन्ड दूध गुजरात को छोड़कर बाकी राज्यों में 54 रुपये लीटर बिकता है। गुजरात में अमूल के टोन्ड दूध की कीमत 52 रुपये लीटर है। जबकि अमूल के फुल क्रीम दूध की कीमत 66 रुपये लीटर है। वहीं नंदिनी के फुल क्रीम दूध वाले एक लीटर पैकेट की कीमत पिछले महीने मार्च की शुरुआत तक 50 रुपये और आधे लीटर वाले पैकेट की कीमत 24 रुपये थी। लागत बढ़ने से केएमएफ ने दाम में बढ़ोतरी तो नहीं की लेकिन मात्रा घटा दी। फेडरेशन ने अब एक लीटर वाले पैकेट को 900 एमएल का और 500 एमएल वाले पैकेट को 450 एमएल का कर दिया है। इसी तरह नंदिनी दही की कीमत 47 रुपये प्रति किलो है, जबकि अमूल का दही 66 रुपये प्रति किलो पर मिलता है। अमूल के 450 एमएल दही के पैकेट की कीमत 30 रुपये है।
मालूम हो कि राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी दिए जाने की वजह से ही नंदिनी दूध की कीमत कम है। सरकार दूध किसानों को 6 रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी देती है। केएमएफ के दुग्ध उत्पादकों को सब्सिडी देने की शुरुआत सितंबर 2008 में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस. येद्दियुरप्पा ने की थी। तब उन्होंने केएमएफ से जुड़े किसानों को 2 रुपये प्रति लीटर सब्सिडी देने की घोषणा की थी। मई 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सिद्धारमैया सरकार ने इसे बढ़ाकर पहले 4 रुपये लीटर, फिर नंवबर 2016 में 5 रुपये लीटर कर दिया। नवंबर 2019 में येद्दियुरप्पा सरकार ने सब्सिडी में फिर से वृद्धि की और इसे 6 रुपये प्रति लीटर कर दिया।
विवाद कैसे शुरू हुआ
5 अप्रैल को अमूल की ओर से एक ट्वीट कर बताया गया कि वह बेंगलुरु में एंट्री के लिए तैयार है। अमूल ने ट्विटर पर लिखा, "दूध और दही के साथ ताजेपन की एक नई लहर जल्द बेंगलुरु आ रही है। इस पर ज्यादा जानकारी जल्द दी जाएगी।" अमूल की इस घोषणा के बाद कर्नाटक के लोगों ने ट्विटर पर ही विरोध शुर कर दिया। ट्विटर पर नंदिनी बचाओ (#SaveNandini) और अमूल वापस जाओ (#GobackAmul) जैसे हैशटैग ट्रेंड होने लगे। सोशल मीडिया पर लोग ये भी कहने लगे कि अमूल के आने से दूध का दाम बढ़ जाएगा। सोशल मीडिया पर लोगों के बढ़ते विरोध को देखते हुए कांग्रेस ने इस मुद्दे को लपक लिया और भावनात्मक रंग देते हुए राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया।
राजनीति हावी
अमूल के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर जब लोगों का विरोध बढ़ने लगा तो 8 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अमूल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और नंदिनी को राज्य की पहचान से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि सभी कन्नड़ साथियों को शपथ लेनी चाहिए कि वे अमूल के उत्पाद नहीं खरीदेंगे। उन्होंने यहां तक कहा कि राज्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की डबल इंजन सरकार से सतर्क हो जाना चाहिए। ये लोग कन्नड़ लोगों की संपत्ति बेच देंगे। गुजरात के बैंक ऑफ बड़ौदा में हमारे विजया बैंक का विलय कर दिया गया। हमारे बंदरगाहों एवं हवाई अड्डों को गुजरात के अडानी के हवाले कर दिया गया। अब गुजरात की अमूल की योजना हमारी केएमएफ (नंदिनी) को खत्म करने की है। ये अब केएमएफ, जिसे हमारे किसानों ने बनाया है, को बर्बाद करना चाहते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को टैग करते हुए पूछा कि क्या वे (कर्नाटकवासी) गुजरातियों के दुश्मन हैं।
विपक्ष का आरोप यह भी है कि केंद्र सरकार अमूल और नंदिनी का विलय करना चाहती है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2022 में जब केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह कर्नाटक के मांड्या में केएमएफ की 260 करोड़ रुपये की मेगा डेयरी का उद्घाटन करने आए थे तो उन्होंने कहा था कि नंदिनी और अमूल को साथ मिलकर काम करना चाहिए। अमित शाह ने कहा था कि अमूल और नंदिनी मिलकर कर्नाटक के हर गांव में प्राइमरी डेयरी स्थापित करने के लिए काम करेंगे। इससे अगले 3 साल में कर्नाटक में एक भी ऐसा गांव नहीं बचेगा जहां प्राइमरी डेयरी नहीं होगी। तभी से विलय की अटकलों को हवा मिलनी शुरू हो गई थी जिसे उस समय तो दबा दिया गया लेकिन अब यह विवाद फिर से उभर आया है। शाह के इस बयान पर विपक्ष का कहना है कि भाजपा कर्नाटक के एक अहम ब्रांड को खत्म करना चाहती है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने नंदिनी को अमूल से बेहतर ब्रांड बताते हुए कहा कि हम अपने दूध और किसानों की रक्षा करना चाहते हैं। हमारे पास पहले से ही नंदिनी ब्रांड है जो अमूल से काफी अच्छा है। हमें कोई अमूल नहीं चाहिए। हमारा पानी, हमारा दूध और हमारी मिट्टी काफी मजबूत है। जेडीएस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने भी कहा कि भाजपा कन्नड़ों की जीवन रेखा को ही खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा- एक देश, एक अमूल, एक दूध और एक गुजरात अब केंद्र सरकार की आधिकारिक नीति हो गई है।
राज्य सरकार का जवाब
इस विवाद पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने विपक्ष पर अमूल की एंट्री के राजनीतिकरण के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि हम अमूल को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं। नंदिनी भी एक राष्ट्रीय ब्रांड है। हमने इसे भी अन्य राज्यों में लोकप्रिय बनाया है। राज्य में न सिर्फ दूध उत्पादन बढ़ा है, बल्कि उत्पादकों की आर्थिक सहायता भी बढ़ाई गई है। स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कहा, "नंदिनी के उत्पाद दूसरे राज्यों और देश में भी बेचे जाते हैं। नंदिनी किसी भी प्रतियोगी ब्रांड का सामना करने के काबिल है। कांग्रेस किसानों के लिए घड़ियाली आंसू बहा रही है।" केएमएफ की स्थापना 1974 में हुई थी। फेडरेशन का टर्नओवर करीब 25 हजार करोड़ रुपये है।