किसानों को जंगली जानवरों और बेसहारा पशुओं से खेती को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए खेतों की तारबंदी करनी पड़ती है। इस पर काफी खर्च आ जाता है जो किसान पर एक अतिरिक्त बोझ है। राजस्थान सरकार खेतों की तारबंदी के लिए किसानों को अनुदान देने की योजना चला रही है। इसके तहत किसानों को 400 रंनिग मीटर तक तारबंदी करने पर लघु एवं सीमान्त कृषकों को लागत का 60 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि 48 हजार रुपये (जो भी कम हो) तथा सामान्य किसानों को लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि 40 हजार रुपये (जो भी कम हो) का अनुदान दिया जाता है।
अगर कई किसान मिलकर तारबंदी करना चाहते हैं तो सामुदायिक आवेदन में 10 या अधिक किसानों के समूह न्यूनतम 5 हेक्टेयर में तारबंदी करने पर लागत का 70 प्रतिशत या अधिकतम राशि 56 हजार रुपये (जो भी कम हो) की दर से अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। प्रति कृषक 400 रनिंग मीटर तक अनुदान देय होगा।
आवेदन की शर्तें
- इस योजना का लाभ सभी श्रेणी के कृषकों को दिया जाएगा
- व्यक्तिगत एवं कृषक समूह में आवेदनकर्ता के पास न्यूनतम 1.5 हेक्टर भूमि एक ही स्थान पर होनी चाहिए
- अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में जोत का आकार कम होने के कारण न्यूनतम 0.5 हेक्टर भूमि एक ही स्थान पर होना आवश्यक है।
- सामुदायिक आवेदन में 10 या अधिक कृषकों के समूह में न्यूनतम 5 हेक्टेयर भूमि तथा समूह की भूमि की सीमाएं निर्धारित पेरीफेरी में होना आवश्यक है।
आवेदन प्रक्रिया
- राज किसान साथी पोर्टल पर जनआधार के माध्यम से स्वयं या नजदीकी ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं
- आवेदन-पत्र के साथ आवश्यक दस्तावेज: आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, जमाबंदी की नकल (छः माह से अधिक पुरानी नहीं हो), बैंक खाते सम्बन्धित विवरण
- आवेदन-पत्र ऑनलाइन जमा किए जाने की प्राप्ति रसीद ऑनलाइन ही प्राप्त होगी
मुख्य बातें
- जिन कृषकों के जन आधार पर लघु एवं सीमान्त कृषक श्रेणी में पंजीयन (सिडिंग) है उनको ही लघु एवं सीमान्त कृषक मानते हुए अनुदान के लिए पात्र समझा जाएगा। यदि जन आधार में लघु/सीमान्त कृषक के पंजीयन की सुविधा नहीं है तो ऐसी स्थिति में कृषकों को आवेदन के समय सक्षम स्तर से जारी लघु/सीमान्त का प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा।
- आवेदन के उपरान्त कृषि विभाग द्वारा तारबंदी स्थापना के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी की जाएगी। इसकी सूचना मोबाईल संदेश/कृषि पर्यवेक्षक के द्वारा प्राप्त होगी
- तारबन्दी किये जाने से पूर्व व कार्य पूर्ण होने पर विभाग द्वारा मौका/सत्यापन व जियोटेगिंग के बाद अनुदान राशि सीधे कृषक के खाते में जमा होगी।