खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए हरियाणा में इस बार लगभग 54 लाख टन धान की सरकारी खरीद हुई है। जबकि इस साल सरकार ने हरियाणा में 60 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। राज्य में 27 सितंबर से शुरू हुई धान खरीद 15 नवंबर तक चलनी थी।
भंडारण की समस्याओं, राइस मिलर्स की हड़ताल और आढ़तियों की मांगों के चलते इस साल धान खरीद की शुरुआत काफी धीमी रही थी। लेकिन बाद में खरीद ने जोर पकड़ा और 15 नवंबर की निर्धारित अवधि तक लगभग 54 लाख टन धान की खरीद हरियाणा में हुई है। इस तरह हरियाणा में लक्ष्य के मुकाबले करीब 6 लाख टन कम धान की खरीद हुई है जो पिछले साल हुई 59 लाख टन की खरीद से भी कम है।
इस साल धान की बंपर पैदावार के बावजूद हरियाणा से धान खरीद में गिरावट कई संदेह और सवाल खड़े करती है। हरियाणा में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, हेफेड और हरियाणा वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन धान की खरीद करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा करीब 30 लाख टन धान की खरीद राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने की है। जबकि लगभग 15 लाख टन खरीद हेफेड और 9 लाख टन खरीद स्टेट वेयरहाउस कॉरपोरेशन ने की।
प्रदेश में धान की सबसे ज्यादा खरीद कुरुक्षेत्र, करनाल और कैथल फतेहाबाद जिलों में हुई है। पिछले महीने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर पाबंदियों हटने के बाद प्राइवेट ट्रेडर्स ने किसानों से धान खरीद में तेजी दिखाई है। इसका असर पर सरकारी खरीद पर पड़ा है। इसके अलावा धान की फसल पकने के समय हुई बारिश के कारण उत्पादन भी प्रभावित हुई है।
एक ओर जहां हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी किसानों से उपज का दाना-दाना खरीदने का दावा रहे हैं, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस धान खरीद से जुड़ी दिक्कतों को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस के सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सीएम सैनी पर निशाना साधते हुए कहा कि चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री ने धान का भाव 3100 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा किया था। लेकिन सत्ता में आते ही अपना वादा भूल गये। दाम बढ़ना तो दूर किसानों को एमएसपी पर अपनी उपज बेचने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा।