पिछले दो साल से सरसों का अच्छा भाव मिलने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को देखते हुए देशभर के किसान इस साल सरसों की खेती को लेकर उत्साहित थे। यही वजह है कि रबी सीजन 2022-23 में रिकॉर्ड 98.02 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुवाई हुई। मगर खाद्य तेलों का आयात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की वजह से किसानों को इसका नुकसान झेलना पड़ रहा है। पिछले दो साल से सरसों एमएसपी से 1,000-1,500 रुपये प्रति क्विंटल ऊपर बिक रहा था मगर इस साल भाव एमएसपी से 1,000 रुपये कम पर बिक रहा है। सरकार ने 2022-23 के लिए सरसों का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। बाजार भाव को देखते हुए हरियाणा के किसान भी एमएसपी से कम कीमत पर सरसों बेचने को मजबूर हैं।
हरियाणा की ज्यादातर मंडियों में सरसों का औसत भाव 4,600-4,800 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के 22 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य की विभिन्न मंडियों में विभिन्न किस्मों और विभिन्न गुणवत्ता वाले सरसों का न्यूनतम भाव 4,200 रुपये और अधिकतम भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जबकि हरियाणा सरकार की एजेंसी हैफेड 5,450 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर सरसों की खरीद कर रही है। पानीपत, हिसार, हांसी, शहजादपुर, कैथल, घरुंदा, समलखा, फतेहाबाद, बरवाला, आदमपुर, सिरसा, डबवाली, कलनवाली, ऐलनाबाद, भिवानी, सोहना जैसी 30 मंडियों में हैफेड किसानों से एमएसपी पर सरसों की खरीद कर रही है। जबकि इन मंडियों सहित राज्य की 52 मंडियों में सरसों की आवक हो रही है जहां निजी व्यापारी गुणवत्ता के आधार पर अलग-अलग भावों पर किसानों से सरसों खरीद रहे हैं।
इस साल सरसों की गुणवत्ता भी भाव पर असर डाल रही है। दरअसल, जनवरी में उत्तर भारत में शीतलहर का दौर लंबा चल गया था जिसकी वजह से हरियाणा के कई इलाकों में सरसों की फसल प्रभावित हुई और दाने छोटे रह गए। इस वजह से भी किसानों को कीमत के मोर्चे पर नुकसान झेलना पड़ रहा है। मंडी बोर्ड के आंकड़ों मुताबिक, शहजादपुर में सरसों का न्यूनतम भाव 5,050 रुपये और अधिकतम भाव 5,730 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। बरवाला में भाव 4,550-5,250 रुपये, पलवल में 4,800-5,025 रुपये, हिसार में 4,100-5,000 रुपये, नूह में 4,500-5,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जबकि फारुखनगर मंडी में तो न्यूनतम भाव गिरकर 3,500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। जुलाना में भाव 4,441-5,200 रुपये और नरवाना में 4,850-5,265 रुपये है। नारनौल में भाव 5,010 रुपये प्रति क्विंटल है। नारनौल महेंद्रगढ़ जिले का मुख्यालय है। महेंद्रगढ़ जिले में ही राज्य में सरसों का सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। यहां शीतलहर के प्रकोप से सरसों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। सरसों उत्पादन एवं बुवाई रकबे के मामले में पहले नंबर पर राजस्थान है। जबकि दूसरे नंबर पर मध्य प्रदेश, तीसरे पर उत्तर प्रदेश और हरियाणा चौथे नंबर पर है।
लगातार बढ़ रहा खाद्य तेलों का आयात
एमएसपी में बड़ी बढ़ोतरी की वजह से इस बार बुवाई का रकबा तो रिकॉर्ड स्तर पर रहा लेकिन आयात शुल्क में छूट से खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से समर्थन मूल्य में वृद्धि का फायदा सरसों किसानों को नहीं मिल पा रहा है। अंतरराष्ट्रीय कीमतें घटने की वजह से जनवरी 2023 में रिकॉर्ड 16.61 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया गया। जनवरी 2022 के मुकाबले यह 31 फीसदी ज्यादा और सितंबर 2021 के बाद सबसे ज्यादा है। जबकि फरवरी में आयात 12 फीसदी बढ़कर 10.98 लाख टन पर पहुंच गया। खाद्य तेलों के संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के मुताबिक, फरवरी 2022 में 9.83 लाख टन खाद्य तेलों का आयात किया गया। जबकि अखाद्य तेलों का आयात फरवरी 2023 में घटकर 16,006 टन रह गया जो पिछले साल इसी महीने 36,389 टन था। भारत अपनी जरूरत का करीब 65 फीसदी खाद्य तेल का आयात करता है।