केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (एसएफएसी) और सीएससी ने मिलकर आईएनए मार्केट स्थित दिल्ली हाट में एफपीओ (किसान उत्पादक संघ) मेले का आयोजन किया। इस मेले में देश के प्रमुख एफपीओ ने भाग लिया और 20 से अधिक एफपीओ ने अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई। इससे मेले में आने वाले लोगों को प्राकृतिक उत्पादों का नया अनुभव मिला।
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) किसानों का एक समूह होता है जो अपने क्षेत्र में फसल उत्पादन से लेकर खेती-किसानी से जुड़ी तमाम व्यावसायिक गतिविधियां चलाता है। इसके जरिये किसानों को न सिर्फ कृषि उपकरण के साथ खाद, बीज, उर्वरक जैसे कई उत्पाद के थोक मूल्य पर छूट मिलते हैं, बल्कि ये तैयार फसल एवं उसकी प्रोसेसिंग करके उत्पाद को मार्केट में बेचते हैं। एफपीओ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार दे रहे हैं। बाजारों तक किसानों की पहुंच आसान बनाने के लिए आज देश के हर ब्लॉक में एक एफपीओ या तो बन चुका है या जल्द ही बन जाएगा। इसके माध्यम से 8 लाख किसानों के 2165 से ज्यादा संगठन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ओएनडीसी के साथ जुड़कर व्यापार कर रहे हैं।
यह मेला 10 अक्टूबर को आयोजित किया गया था। इस मौके पर सीएससी एसपीवी के प्रबंध निदेशक और सीईओ श्री संजय राकेश ने कहा, “सीएससी ने हमेशा विभिन्न पहलों के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया है। किसान और कृषि हमारी पहल का अभिन्न अंग हैं। देश के दूर-दराज इलाकों में मौजूद सीएससी के विशाल नेटवर्क की बदौलत पहले से ही हम किसानों को टेली-परामर्श, फसल बीमा, ई-पशु चिकित्सा, किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम किसान योजनाओं के जरिये विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इसी कड़ी में हम देश भर में एफपीओ के गठन में पूरे जोश के साथ काम कर रहे हैं। एफपीओ के जरिये हम किसानों के सशक्तिकरण में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।"
गौरतलब है कि देश के दूरदराज इलाकों में स्थित साढ़े पांच लाख से अधिक सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) ने ग्रामीणों के जीवन में सराहनीय बदलाव किया है। ग्रामीण नागरिक सीएससी केंद्रों की मदद से अपने घर पर ही विभिन्न विभागों की सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम हैं, उदाहरण के लिए, जाति, आय, अधिवास, चरित्र प्रमाण पत्र और रोजगार पंजीकरण आदि। इन सेवाओं की मदद से CSC ने गांव के लोगों को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में मदद करके एक उल्लेखनीय कार्य किया है।
एक अनुमान के मुताबिक भारत में 12 करोड़ से अधिक छोटे और सीमांत किसान हैं, जिनकी औसत जोत का आकार 1.1 हेक्टेयर से कम है। अधिकांश छोटे और सीमांत किसानों को उत्पादन और उत्पादन के बाद के काम जैसे टेक्नोलॉजी तक पहुंच, उचित कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण साजो-सामान, बीज उत्पादन, खेती की मशीनरी की इकाई, मूल्य वर्धित उत्पाद, प्रसंस्करण, ऋण, निवेश और सबसे महत्वपूर्ण बाजार दोनों में जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। एफपीओ के गठन से ऐसी चुनौतियों का समाधान करने और किसानों की आय बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण है।