गन्ना पेराई शुरू होने के साथ ही शुगर सीजन 2024-25 की शुरुआत हो रही है। यूपी में कई चीनी मिलों ने पेराई शुरू कर दी है। लेकिन महाराष्ट्र में चीनी उद्योग ने चिंता जताई है कि अगर सरकार ने चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) और एथेनॉल का दाम नहीं बढ़ाया तो कई चीनी मिलें पेराई शुरू नहीं कर पाने के लिए बाध्य होंगी।
वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी को दिए ज्ञापन में चीनी के एमएसपी में न्यूनतम 7 रुपये और एथेनॉल की कीमतों में 5 से 7 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की मांग की है। चीनी का एमएसपी 31 रुपये प्रति किलो है जो फरवरी, 2019 में अधिसूचित किया गया था। तब से गन्ने का एफआरपी 275 रुपये से बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। लेकिन चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य नहीं बढ़ा है।
उद्योग संगठन का कहना है कि शुगर सीजन 2024-25 के लिए गन्ने के एफआरपी को बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल किए जाने के बाद चीनी के एमएसपी में तत्काल बढ़ोतरी की आवश्यकता है। गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में वार्षिक बढ़ोतरी के बावजूद, 2019 से चीनी का एमएसपी नहीं बढ़ा है, जिससे चीनी मिलें गंभीर वित्तीय संकट में हैं। परिणामस्वरूप ऋण का बोझ उद्योग और गन्ना किसानों दोनों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
उद्योग संगठन ने ज्ञापन में कहा है कि चीनी व एथेनॉल के दाम तथा गन्ने के एफआरपी के बीच समानता नहीं है। चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 41.66 रुपये प्रति किलो की उत्पादन लागत को ध्यान में रखते हुए बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि चीनी मिलें नवंबर 2024 से पेराई कार्य शुरू कर किसानों को भुगतान सुनिश्चित कर सकें। अन्यथा मिल मालिक सीजन में पेराई शुरू नहीं करने के लिए मजबूर होंगे।
महाराष्ट्र में 2024-25 के लिए पेराई सीजन 15 नवंबर, 2024 से शुरू होने वाला है। राज्य में करीब 14 लाख हेक्टेयर में गन्ने की फसल है। महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन 110 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है।