कुछ दिन पहले ही देश के बड़े दूध ब्रांड की कीमतों में प्रति लीटर दो रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, महाराष्ट्र के डेयरी किसान दूध की कीमतें घटने से संकट में हैं। राज्य में गाय के दूध की कीमत गिरकर 26 रुपये प्रति लीटर तक आ गई हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मार्च और अप्रैल में राज्य सरकार ने किसानों को दूध पर पांच रुपये लीटर की सब्सिडी दी थी जिसे मई में बंद कर दिया गया। शुक्रवार को महाराष्ट्र का बजट आ रहा है। किसान संगठनों ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए दूध पर सात रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दे। अगर ऐसा नहीं होता है तो एक जुलाई से राज्य भर में किसान दूध की बेहतर कीमतों के लिए आंदोलन शुरू कर देंगे।
महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस को बताया कि राज्य में हर रोज करीब 120 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसका एक हिस्सा ही संगठित क्षेत्र में जाता है। वहीं, करीब 20 लाख लीटर दूध मध्य प्रदेश और कर्नाटक से आ रहा है। इस स्थिति में दूध किसानों को गाय के दूध (तीन फीसदी फैट) के लिए 25 से 26 रुपये प्रति लीटर दाम ही मिल पा रहा है। जबकि पिछले साल यह कीमत 38 रुपये प्रति लीटर तक चली गई थी।
शेट्टी स्वाभीमानी फार्मर्स प्रॉड्यूसर कंपनी के तहत डेयरी भी संचालित करते हैं। शेट्टी का कहना है कि हम किसानों को 32 रुपये प्रति लीटल की कीमत दे रहे हैं। वहीं कोल्हापुर जिले में वारना और गोकुल सहकारी समितियां भी 32 रुपये प्रति लीटर की कीमत दे रही हैं क्योंकि यहां डेयरी संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा है। लेकिन राज्य के कई हिस्सों में ऐसा नहीं है। राज्य की डेयरी फेडरेशन महानंदा की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है। ऐसे में बड़ी संख्या में किसानों को दूध का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है।
पिछले दिनों जो दूध की खुदरा कीमतें बढ़ी हैं, उससे उपभोक्ता की जेब पर तो बोझ बढ़ा है लेकिन किसानों को इस बढ़ोतरी का फायदा नहीं मिल रहा है। इसके उलट महाराष्ट्र में तो दूध की कीमत कम हो गई हैं। जुलाई से दूध का फ्लश सीजन शुरू हो जाएगा और बाजार में दूध की आपूर्ति बढ़ जाएगी। ऐसे में शुक्रवार को पेश होने वाला महाराष्ट्र का बजट राज्य के किसानों के लिए अहम है। राज्य में अक्तूबर में विधान सभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक नुकसान से बचने के लिए सरकार इस मामले में किसानों के हित में कोई कदम उठा सकती है।
दूध की कीमतों में गिरावट की एक बड़ी वजह स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमत का गिरना है। इसकी वजह से एसएमपी का उत्पादन करने वाली निजी डेयरी कंपनियां किसानों को दूध के कम दाम दे रही हैं। वैश्विक बाजार में एसएमपी की जो वर्तमान कीमतें हैं, उसके चलते भारत से एसएमपी का निर्यात प्रतिस्पर्धी नहीं रह गया है। शेट्टी का कहना है कि सरकार को एसएमपी निर्यात पर भी सब्सिडी देनी चाहिए। इससे किसानों को दूध का बेहतर दाम मिल सकेगा।