हरियाणा में पिछले साल बर्बाद हुई कपास की फसल का मुआवजा लेने के लिए किसानों को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। एक साल से किसान मुआवजे की बाट जोह रहे हैं। खरीफ 2023 की बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा अभी तक किसानों को नहीं मिला है, जिससे किसान परेशान हैं। हरियाणा के सिरसा जिले में बीमा कंपनी ने मुआवजा देने के बजाय किसानों का प्रीमियम ही वापस लौटा दिया है। प्रीमियम की राशि वापस लौटाए जाने से किसानों में भारी रोष है। किसानों ने बीमा कंपनी और प्रशासन को मुआवजे के लिए एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें एक हफ्ते के भीतर मुआवजा नहीं मिला, तो वे उप कृषि निदेशक कार्यालय का घेराव करेंगे।
मंगलवार को किसानों ने सिरसा के प्रमुख जिला प्रबंधक (एलडीएम) कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया, जिसमें भारतीय किसान एकता के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख समेत कई किसान नेता शामिल हुए। औलख का कहना है कि पिछले साल गुलाबी सुंडी के कारण नरमे (कपास) की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी। इंश्योरेंस कंपनी और कृषि विभाग ने बर्बाद हुई फसलों का निरीक्षण भी किया था, लेकिन किसानों को मुआवज नहीं मिला। उन्होंने कहा कि हर साल की तरह पिछले साल भी बैंकों ने 31 जुलाई 2023 तक किसानों के खातों से खरीफ फसल का बीमा प्रीमियम काटा था। लेकिन अभी तक मुआवजा जारी नहीं हुआ है। इसके बजाय कंपनी ने किसानों का प्रीमियम ही लौटा दिया, जो किसानों के साथ धोखा है।
औलख ने कहा कि पिछले साल सिरसा जिले के लगभग सभी गांवों में गुलाबी सुंडी से नरमे की फसल को नुकसान पहुंचा था, लेकिन कृषि विभाग ने सिर्फ 93 गांवों में ही फसलों को नुकसान बताया। इनमें से भी 7 गांवों का नुकसान 32 से 674 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से दिखाया गया। उन्होंने कहा कि हजारों किसानों का बीमा प्रीमियम वापस किया जा रहा है, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक के 16,405 किसान भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि अगर समय पर मुआवजा नहीं मिला, तो किसान प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।