भारत से 2022 के सीजन में सिंगापुर, मॉरीशस और वियतनाम को 35 टन खुबानी का निर्यात किया गया है। लद्दाख की इस मशहूर पैदावार के निर्यात के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने काफी मदद की है। इसका निर्यात ‘लद्दाख एप्रिकॉट’ ब्रांड नाम के तहत किया जा रहा है। ‘लद्दाख एप्रिकॉट’ को भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग दिलाने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसका स्थानीय नाम ‘चुली’ है।
मंत्रालय की एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपीडा ने खुबानी की वैल्यू चेन से जुड़े सभी पक्षों को प्रमोट किया है। इसने 2021 में लद्दाख के ताजे खुबानी की निर्यात के लिए पहचान की। 2021 के सीजन के अंत में कुछ शिपमेंट दुबई भेजी थी। अलग स्वाद और सुगंध के कारण इसे वहां काफी पसंद किया गया।
भारत में खुबानी का सबसे अधिक उत्पादन लद्दाख में ही किया जाता है। पिछले सीजन में यहां 15,789 टन खुबानी का उत्पादन हुआ। सुखाने के बाद 1999 टन खुबानी उत्पादन हुआ। लद्दाख में 2303 हेक्टेयर में इसकी खेती होती है।
खुबानी और इस क्षेत्र के अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने से क्षेत्रीय विकास भी होने की उम्मीद है। एपीडा की निर्यात संवर्धन नीति के तहत खुबानी के बागों के प्रबंधन पर ध्यान दिया जाता है ताकि बेहतर क्वालिटी के फल मिल सकें। इस नीति से निरंतर मार्केटिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, रिसर्च-डेवलपमेंट और ब्रांड प्रमोशन में मदद मिलेगी।
एपीडा ने लद्दाख के बागवानी विभाग के साथ कारगिल और लेह में भी जागरूकता फैलाने की योजना बनाई है, जहां शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी (SKAUST-Kashmir) और डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ हाई-एल्टीट्यूड रिसर्च (DIHAR) के वैज्ञानिक किसानों की मदद करेंगे।
लद्दाख में पैदा होने वाले ज्यादातर खुबानी की खपत स्थानीय स्तर पर ही हो जाती है। बहुत कम मात्रा सुखाकर बेची जाती है। परवाज (PARVAZ) मार्केट लिंकेज स्कीम के तहत एपीडा हवाई मार्ग से लॉजिस्टिक्स की मदद बढ़ाने पर काम कर रहा है।
एपीडा ने इस साल जून में लेह में एक अंतरराष्ट्रीय बायर-सेलर मीट का आयोजन किया था। उसमें भारत, अमेरिका, बांग्लादेश, ओमान, दुबई और मॉरीशस से 30 से ज्यादा खरीदार पहुंचे थे। लद्दाख के खुबानी की प्रीमियम क्वालिटी को देखते हुए इसके निर्यात की काफी संभावनाएं हैं।