हरियाणा में धान की सरकारी खरीद को लेकर किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्टोरेज की समस्या और अनाज के धीमे उठान के कारण मंडियां धान से अटी पड़ी है और खरीद प्रक्रिया धीमी चल रही है। इस साल भाव गिरने से किसानों को समर्थन मूल्य के नीचे धान बेचना पड़ा है।
इस बीच, हरियाणा में धान की खरीद में कुछ गति आई है, हालांंकि पिछले साल के मुकाबले खरीद प्रक्रिया धीमी है। चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान हरियाणा से 60 लाख टन धान खरीद का अनुमान है, जिसमें से 33.47 लाख टन से ज्यादा धान की खरीद एमएसपी पर हो चुकी है। राज्य सरकार का दावा है कि प्रदेश में खरीफ फसलों की खरीद सुचारू रूप से चल रही है और किसानों को समय पर भुगतान हो रहा है। अब तक धान व बाजरा किसानों को 5,419 करोड़ रुपये की राशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जा चुकी है।
हरियाणा सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 22 अक्टूबर तक प्रदेश की विभिन्न मंडियों में कुल 37.79 लाख टन धान की आवक हुई थी। इसमें से 33.47 लाख टन धान की खरीद एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर हुई। धान खरीद के लिए 1.93 लाख धान किसानों को 4897 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
अब तक हरियाणा की मंडियों से 23.77 लाख टन धान का उठान हुआ है। यानी मंडियों में जितना धान पहुंचा उसमें से करीब 63 फीसदी धान का उठान हुआ है। करीब 37 फीसदी धान का उठान होना बाकी है। स्टोरेज की कमी और गोदामों से पिछले साल का स्टॉक खाली न होने के कारण इस साल धान की खरीद पर असर पड़ा है। राज्य और केंद्र सरकार इस समस्या को हल करने का प्रयास कर रही हैं। बुधवार को केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि स्टॉक की निकासी के लिए पंजाब और हरियाणा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।
हरियाणा में कुरुक्षेत्र जिले की मंडियों में सर्वाधिक 8.42 लाख टन से अधिक धान पहुंचा है। प्रदेश में 1 अक्टूबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद भी जारी है। अब तक 3.9 लाख टन बाजरा खरीदा जा चुका है। बाजरे की खरीद के लिए किसानों को 522 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान सीधा उनके खातों में किया गया है जिससे एक लाख से अधिक किसानों को लाभ पहुंचा है। बाजार की सबसे अधिक सरकारी खरीद महेंद्रगढ़ जिले में हुई है।