उत्तर प्रदेश में अगले दो सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो सूखे के कारण धान का उत्पादन 20 फीसदी तक गिर सकता है। उत्तर प्रदेश के कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, (अटारी) कानपुर के तत्वाधान में मेरठ स्थित सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि और प्रौद्योगकी विश्वविद्यालय में आयोजित कृषि विज्ञान केन्द्रों की 29वीं वार्षिक तीन दिवसीय कार्यशाला में विशेषज्ञों ने यह आशंका जताई। इस कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के डायरेक्टर और हर जिले के कृषि विज्ञान केन्द्रों ने हिस्सा लिया।
रूरल वॉयस के साथ चर्चा में रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के प्रसार निदेशक डॉ एस. एस. सिंह ने कहा कि पिछले सालों में अच्छी बारिश और नहर की सिंचाई व्यवस्था बेहतर होने से बुन्देलखंड एरिया में धान का रकबा बढ़ा है। पिछले साल झांसी जिले में नौ हजार हेक्टयर में धान की खेती की गई थी, जबकि इस साल किसानों ने 28 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की है।
इसी तरह, मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में पिछले साल 90 हजार हेक्टेयर में धान की खेती की गई जबकी उसकी तुलना में इस साल किसानो ने दो लाख हेक्टयर में धान की खेती की है। अगर बारिश नहीं हुई तो सूखे के कारण उत्पादन में गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में दलहनी फसलों मूंग और उड़द के उत्पादन में 30 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। बारिश नहीं हुई तो बुंदेलखंड में रबी की फसलें भी प्रभावित होंगी।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगकी विश्वविद्यालय कानपुर के प्रसार निदेशक डॉ अरविन्द सिंह ने कहा कि कानपुर और उससे सटे जिलों में अगर एक दो सप्ताह में बारिश नहीं हुई तो धान की फसल ज्यादा प्रभावित होगी। धान के उत्पादन में 30 फीसदी तक गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि दूसरी फसलों पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि और प्रौद्योगकी विश्वविद्यालय मेरठ के प्रसार निदेशक डॉ पी.के. सिंह ने कहा कि मेरठ औऱ नजदीकी जिलों में गन्ने की फसल पर सूखे का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। कृषि विज्ञान केन्द्र हापुड़ के हेड डॉ. हंसराज सिंह ने कहा कि एक-दो सप्ताह बारिश नहीं हुई तो पश्चिमी जिलों में अगेती धान के उत्पादन में सात से दस फीसदी गिरावट की आएगी और देर से पकने वाली धान की फसलों में 20 से 25 फीसदी तक उत्पादन घटने की आशंका है। कृषि विज्ञान केन्द्र बुलन्दशहर के हेड ड़ॉ लक्ष्मी कान्त ने कहा कि पश्चिमी जिलों में गन्ना की फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, लेकिन धान के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, रीजनल सेंटर लखनऊ के प्रिंसिपल साइंसिस्ट डॉ संजय अरोड़ा ने कहा कि उत्तर प्रदेश के क्षारी क्षेत्र वाले जिलों कन्नौज, कानपुर, लखनऊ, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, इलाहाबाद औऱ आजमगढ़ जिलों में बारिश नहीं होने के काऱण भूमि के ऊपर नमक आ जाता है जिसके काऱण धान के पौधे मरने लगते हैं। इन जिलों में धान की फसल को ज्यादा नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि इस तरह की भूमि में बारिश ना होने से फसलों पर दीमक का प्रकोप भी बढ़ा जाता है।
कृषि विज्ञान केन्द्र बहराइच के हेड बीपी शाही ने कहा कि उनके इलाके में बारिश ना होने के काऱण धान के उत्पादन में लगभग 30 फीसदी गिरावट हो सकती है। मक्के की भी फसल प्रभावित हो रही है। उन्होंने गन्ने के उत्पादन में सात से दस फीसदी गिरावट की आशंका व्यक्त की।