हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। हिमाचल सरकार प्राकृतिक खेती के उत्पादों की अलग ट्रेडमार्क से ब्रांडिंग और मार्केटिंग करेगी। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते हुए राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से तैयार किए उत्पादों के विशिष्ट ट्रेडमार्क के तहत ब्रांडिंग की जाए ताकि किसानों को उनकी उपज के बेहतर दाम मिल सकें। उन्होंने उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए व्यापक तंत्र विकसित करने और राज्य में मिट्टी की जांच के लिए विशेष लैब स्थापित करने के भी निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बढ़ रहे कैंसर के मामलों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए किसानों से रसायन मुक्त खेती को अपनाने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को कृषि विभाग में स्टाफ की कमी को दूर करने के लिए विभाग में खाली पदों को तुरंत भरने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 70 फीसदी आबादी खेतीबाड़ी से जुड़ी हुई है और सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आय बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए 2024-25 के बजट में विशेष पहल की गई हैं।
कृषि विभाग की योजनाओं की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य में प्राकृतिक खेती के विस्तार पर जोर दिया और अधिकारियों से प्राकृतिक खेती उत्पादों के प्रमाणीकरण, पैकेजिंग और विपणन के लिए एक व्यापक प्रणाली विकसित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि मिट्टी की जांच और उपज को प्रमाणित करने के लिए राज्य में एक विशेष प्रयोगशाला भी स्थापित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में कृषि विभाग और जल शक्ति विभाग, जाइका व शिवा परियोजनाओं के सहयोग से एकीकृत सिंचाई योजनाओं को क्रियान्वित करेगा, ताकि किसानों को अधिकतम लाभ मिले और इन योजनाओं को व्यावहारिक बनाया जा सके। उन्होंने संबंधित जिलों में विशिष्ट फसल उत्पादन आवश्यकताओं के अनुसार कोल्ड स्टोर स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। जाइका के तहत गेहूं और मक्का के भंडारण के लिए साइलो स्थापित किए जाएंगे।
गाय-भैंस की खरीद पर बढ़ेगा अनुदान
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। भैंस और गाय के दूध का खरीद मूल्य बढ़ाकर 55 और 45 रुपये किया गया है। उन्होंने कहा कि पशुपालन और प्राकृतिक खेती दोनों ही संबद्ध गतिविधियां हैं, इसलिए राज्य सरकार प्राकृतिक खेती क्लस्टरों में देशी गायों और भैंसों की खरीद के लिए किसानों को वित्तीय सहायता बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
एकीकृत कृषि पर जोर
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य की जलवायु डेयरी क्षेत्र के लिए सबसे अनुकूल है और इसका लाभ उठाकर किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की जा सकती है, जिससे उनकी आर्थिकी भी मजबूत होगी। उन्होंने प्राकृतिक खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन को एकीकृत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने जाइका और मिल्कफेड के कामकाज की भी समीक्षा की और कार्य में डिजिटल पद्धति अपनाने के निर्देश दिए।
समीक्षा बैठक में प्रदेश के कृषि मंत्री प्रो. चंद्र कुमार, प्रधान सचिव (वित्त) देवेश कुमार, सचिव कृषि सी. पालरासू, मुख्यमंत्री के सचिव राकेश कंवर, निदेशक कृषि कुमुद सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।