हिमाचल सरकार ने बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के तहत सेब के समर्थन मूल्य में कोई बढ़तरी नहीं की है। इस साल भी 12 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से एमआईएस के तहत सेब की खरीद की जाएगी। गुरुवार को हुई हिमाचल कैबिनट की बैठक में समर्थन मूल्य के प्रस्ताव पर चर्चा तो हुई, लेकिन सरकार ने इसे 12 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। सरकार ने एमआईएस के तहत सेब, किन्नू, माल्टा, संतरा और आम की खरीद 12 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से करने को मंजूरी दी है। जबकि गलगल की खरीद दर 10 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से होगी।
पिछले साल सरकार ने एमआईएस के तहत सेब के समर्थन मूल्य में डेढ़ रुपये की बढ़ोतरी की थी। जिसके बाद सरकारी एजेंसियों ने बागवानों से 12 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से सेब खरीदा था। सेब सीजन को देखते हुए बागवानों को इस साल भी उम्मीद थी की सेब के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की जाएगी, लेकिन बागवानों को फिलहाल निराशा ही हाथ लगी है।
एमआईएस के तहत सरकार "सी या डी ग्रेड" का सेब बागवानों से खरीदती है। यह वह सेब होता है, जो बाजार में नहीं बिकता। क्योंकि, आढ़ती या तो इसके बड़े कम दाम देते हैं, या खरीदने से इनकार कर देते हैं। लिहाजा बागवानों को नुकसान ने बचाने के लिए सरकारी एजेंसियों के माध्यम से "सी या डी ग्रेड" का सेब खरीदा जाता है। जिसका इस्तेमाल जैम, जूस, फ्रूट वाइन, फ्रूट कॉन्सन्ट्रेट समेत कई अन्य चीजों को बनाने में होता है। प्रदेश में हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम लिमिटेड (एचपीएमसी) और हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी विपणन एवं उपभोक्ता संघ लिमिटेड (हिमफेड) यह खरीद करते हैं।
हिमाचल प्रदेश फल एवं सब्जी उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने रूरल वॉयस को बताया कि प्रदेश में इस साल कम बारिश और बीमारियों के चलते सेब का उत्पादन प्रभावित हुआ है। पहले ज्यादा गर्मी पड़ने से सेब की ड्रॉपिंग बढ़ी, फिर बारिश नहीं होने से सेब के आकार और रंग पर असर पड़ा। वहीं, अब फंगल बीमारियों के चलते सेब की फसल खराब हो रही है। उन्होंने कहा कि सेब पर प्रति किलोग्राम लागत 30 रुपये आती है। जबकि, सरकार एमआईएस के तहत 12 रुपये प्रति किलो में बागवानों से सेब खरीदती है।
चौहान ने कहा कि बागवान लंबे समय से समर्थन मूल्य को 20 से 25 रुपये करने की मांग कर रहे हैं, ताकि वह अपनी लागत निकाल सकें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने भी वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में एमआईएस के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में एमआईएस के लिए 1500 करोड़ रुपये रखे गए थे। जिसे 2023-24 में घटाकर मात्र 1 लाख रुपये कर दिया गया था। जबकि, इस साल बजट में इसका कोई जिक्र नहीं है।