एचसीएल फाउंडेशन ने उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं को आजीविका के अवसर प्रदान करने के लिए फ्लिपकार्ट के साथ साझेदारी की है। इसके तहत पारंपरिक कला और कौशल का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह साझेदारी एचसीएल फाउंडेशन के एचसीएल 'समुदाय' और फ्लिपकार्ट के 'समर्थ' अभियान के बीच हुई है।
इस पहल के तहत एचसीएल समुदाय ने लखनऊ में 'समुदाय क्राफ्ट' आयोजित किया। इसमें उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की 500 ग्रामीण महिलाओं कारीगरों द्वारा तैयार प्रोडक्ट रखे गए हैं। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य तथा राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इसे लांच किया गया।
अलंकार ब्रांड नाम से घर सजाने के उत्पादों की अलग रेंज भी लांच की गई है। यह सभी प्रोडक्ट फ्लिपकार्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगे। उत्तर प्रदेश सरकार हरदोई जिले के 11 ब्लॉक में एचसीएल फाउंडेशन के साथ मिलकर कार्य कर रही है। यह कार्य स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, जल एवं स्वच्छता, इंफ्रास्ट्रक्चर और आजीविका 6 क्षेत्रों में हैं।
इस मौके पर उप मुख्यमंत्री मौर्य ने कहा, "आजीविका कार्यक्रम के माध्यम से 22,000 से अधिक ग्रामीण महिलाएं अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने में सफल रही हैं। फ्लिपकार्ट के साथ एचसीएल फाउंडेशन की साझेदारी से ग्रामीण महिला कलाकारों को अपना हस्तशिल्प बेचने के लिए बड़ा प्लेटफार्म मिल सकेगा।" हस्तशिल्प ग्रामीण महिलाओं के लिए वैकल्पिक आमदनी का एक महत्वपूर्ण जरिया है। इनके बनाए प्रोडक्ट की कीमत 200 से 3500 रुपए तक होती है।
एचसीएल फाउंडेशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आलोक वर्मा ने कहा, "लगभग 2000 महिला कारीगरों को अतिरिक्त आय के रूप में फायदा हुआ है। हमें लगता है कि अगर हम उन्हें सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ दें तो और अधिक महिलाओं को इसका फायदा मिल सकता है। फ्लिपकार्ट समर्थ के साथ हमारी साझीदारी इसी दिशा में एक कदम है। हमें उम्मीद है कि इस साझेदारी से इन महिलाओं को प्रतिमाह 8 से 10 हजार रुपए की अतिरिक्त आमदनी होगी।"
फ्लिपकार्ट समर्थ पहल 2019 में लांच की गई थी इसका मकसद हाशिए पर खड़े समुदायों, कलाकारों, बुनकरों और शिल्पियों को ई-कॉमर्स के माध्यम से राष्ट्रीय बाजार से जोड़ना है। फ्लिपकार्ट ग्रुप के चीफ कॉरपोरेट्स अफेयर ऑफिसर रजनीश कुमार ने कहा, "इस पहल के माध्यम से हम देशभर में लाखों लोगों की मदद करने में सफल रहे हैं। एचसीएल समुदाय के साथ साझेदारी में हम इन प्रतिभाशाली महिला शिल्पियों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में अवसर देना चाहते हैं तथा उनके स्थानीय शिल्प को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।"