चुनाव के दौर से गुजर रहा हरियाणा अपने लोगों की सीधी बात के लिए जाना जाता है। हरियाणा वासी जो महसूस करते हैं वही बोलते हैं। डिप्लोमेटिक तरीके से बातचीत करना उन्हें कम आता है।
ग्राउंड रिपोर्ट से वहां की जो स्थिति का पता चलता है वह कुछ इस प्रकार है- 90 सीटों वाली विधानसभा के लिए टिकटों का वितरण अभी जारी है। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी और उसे चुनौती देने वाली कांग्रेस दोनों कि फिलहाल यही स्थिति है। चुनौती देने वाली टीम यानी कांग्रेस में आत्मविश्वास का स्तर काफी ऊंचा लग रहा है जबकि पिछले चुनाव में जीत दर्ज करने वाली टीम अभी तक यह तय नहीं कर पा रही है कि उनके गोल पोस्ट की रक्षा कौन करेगा।
भाजपा कड़ी टक्कर देना चाहती है लेकिन वह इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि गोलकीपर किसे बनाया जाए। क्या यह जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को दी जाए जिन्हें लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एंटी इनकंबेंसी से जूझ रहे मनोहर लाल खट्टर की जगह लाया गया था? हालांकि सैनी भी संसदीय चुनाव में कांग्रेस को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाए और 10 लोकसभा सीटों में से पांच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के खाते में चली गईं।
कांग्रेस को लग रहा है कि वह गोल डालने के लिए सर्कल के भीतर पहुंच चुकी है। कुछ-कुछ जगहों पर प्रभाव रखने वाली आम आदमी पार्टी राहुल गांधी को यह समझाने में लगी है कि वह कांग्रेस को पेनल्टी कॉर्नर दिला सकती है। लेकिन वह इसकी कीमत चाहती है जो कांग्रेस की हरियाणा टीम के कप्तान और पुराने राजनीतिज्ञ भूपेंद्र सिंह हुड्डा नहीं देना चाहते।
यह खेल आखिर कौन सा करवट लेगा? हालात चुनौती देने वाली टीम के पक्ष में लग रहे हैं, बशर्ते राहुल गांधी इसके खिलाड़ियों में टीम भावना जागने में सफल रहें। चाहे कुमारी शैलजा हों या रणदीप सुरजेवाला, सब भाजपा के गोल पोस्ट में गेंद डालने के लिए तैयार हैं और बड़ा स्कोर करने की तमन्ना रखते हैं। लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद इतना बड़ा है कि उन्हें नाराज नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस खेल का अंत निश्चित ही काफी रोचक होने वाला है।
क्या भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर जीत दर्ज कर हैट्रिक करने की स्थिति में है? इसकी चुनौतियां सिर्फ 10 साल के शासन के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी नहीं बल्कि चौटाला परिवार के दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी भी है, जिसके साथ गठबंधन में उसकी सरकार चली। खट्टर सरकार में जेजेपी ने काफी मोल भाव किया था और सिर्फ 10 विधानसभा सीटें जीतने के बावजूद उपमुख्यमंत्री का पद लिया था। लेकिन इस बार अभी तक जेजेपी के लिए दो सीटें जीत पाना भी मुश्किल लग रहा है। भाजपा चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ हाथ मिलाने की सोच रही है जिसका अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं पर प्रभाव है। अभी मतदान में 3 सप्ताह का समय बाकी है।
हरियाणा राज्य आकार में भले ही छोटा हो यहां के लोगों में 5 अक्टूबर को होने वाले मतदान के लिए काफी उत्साह है। उम्मीद की जाती है कि यह उत्साह 95 लाख से कुछ अधिक महिला मतदाता और कुल 2.3 करोड़ मतदाताओं वाले राज्य में मतदान प्रतिशत में भी नजर आएगा।