गुजरात में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया। पुराने अनुभवों से सीखते हुए केसरिया पार्टी ने किसानों से जुड़े मुद्दों पर विशेष फोकस किया है। राज्य में 1 दिसंबर और 5 दिसंबर को दो चरणों में मतदान होंगे। वोटों की गिनती 8 दिसंबर को की जाएगी।
राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी ने एग्री मार्केटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 10,000 करोड़ रुपए का फंड बनाने का वादा किया है। दक्षिण गुजरात में सिंचाई की सुविधाओं के विस्तार के लिए 25000 करोड़ रुपए खर्च करने का वादा है। इसके अलावा सौराष्ट्र में 2 सी फूड पार्क बनाने की बात भी कही गई है।
खासकर सौराष्ट्र क्षेत्र में किसानों की खराब हालत के कारण भारतीय जनता पार्टी को सीटों का नुकसान हुआ है। 2012 में उसे 115 सीटें मिली थी जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वह 99 सीटों पर सिमट गई। गुजरात विधानसभा में कुल 182 सीटें हैं।
घोषणा पत्र में कहा गया है कि अगर पार्टी फिर से सत्ता में आती है तो खेदूत मंडियों, आधुनिक कृषि उपज मार्केट कमेटी (एपीएमसी), सोर्टिंग और ग्रेडिंग यूनिट, कोल्ड चैन, वेयरहाउस, प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर आदि विकसित करने के लिए 10,000 करोड़ रुपए का गुजरात कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर कोष बनाएगी।
इसमें कहा गया है कि सुजलाम सुफलाम, सावनी, लिफ्ट इरिगेशन, माइक्रो इरीगेशन और ड्रिप इरिगेशन जैसे प्रोजेक्ट के जरिए वह मौजूदा सिंचाई नेटवर्क का विस्तार करेगी। 500 करोड़ रुपए के अतिरिक्त बजट से गौशालाओं की स्थिति सुधारी जाएगी। इसके अलावा 1000 अतिरिक्त मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट स्थापित की जाएंगी।
लंपी स्किन रोग के कारण राज्य के डेयरी सेक्टर को काफी नुकसान हुआ है। प्रदेश के किसानों के लगभग 5800 मवेशियों की मौत इस बीमारी से हुई है। इस साल की शुरुआत में राज्य के किसानों ने अपर्याप्त बिजली सप्लाई के खिलाफ प्रदर्शन किया था। कुछ उपज की कम कीमत के खिलाफ रैली निकाली थी और नमक का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की मांग की थी।
पार्टी ने दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र में सी फूड पार्क स्थापित करने का वादा किया है। इसके अलावा यहां देश का पहला ब्लू इकोनॉमी इंडस्ट्रियल कॉरिडोर स्थापित करने की भी बात है। इसके लिए फिशिंग से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा।
2017 में जब पार्टी की सीटों की संख्या घटकर 99 रह गई थी, तब इसके कई कारण बताए गए थे। एक कारण तो पाटीदार आंदोलन बताया गया। फिर कहा गया कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भी लोगों में नाराजगी थी। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण कारण किसानों की खराब हालत को माना गया, खासकर सौराष्ट्र के किसानों की।
सौराष्ट्र के किसानों की स्थिति कम बारिश और सूखे की वजह से काफी प्रभावित हुई थी। लगातार दो साल 2016 और 2017 में यह स्थिति रही। कपास और मूंगफली के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य उस समय लागू नहीं किया गया था, इससे भी किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी थी।
उन समस्याओं का समाधान तो काफी हद तक हो गया है, लेकिन अनेक इलाकों में पानी और बिजली की किल्लत जैसी समस्याएं अभी बरकरार हैं। कुछ उत्पादों में कम रिटर्न को लेकर भी चिंता है, खास कर नमक के मामले में। इससे सत्तारूढ़ पार्टी का गणित गड़बड़ा सकता है। लंपी स्किन रोग के कारण डेयरी सेक्टर में किसानों को हुए नुकसान ने भी पार्टी की चिंता बढ़ा दी है।
राज्य के आदिवासियों के लिए भाजपा ने सभी 56 ट्राईबल सब प्लान तालुका में राशन की मोबाइल डिलीवरी करने का वादा किया है। वन बंधु कल्याण योजना 2.0 के तहत 100000 करोड़ रुपए खर्च करने की बात है। इस राशि का इस्तेमाल आदिवासियों के सामाजिक आर्थिक विकास में किया जाएगा।
घोषणा पत्र में यह भी कहा गया है कि अगर पार्टी फिर से चुनाव जीतती है तो राज्य में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू किया जाएगा।
पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा की तरफ से गांधीनगर में घोषणा पत्र जारी किया गया। इसमें केजी कक्षा से लेकर पीजी यानी पोस्टग्रेजुएट तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया गया है। आयुष्मान भारत योजना के तहत चिकित्सा बीमा कवरेज की राशि 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने का वादा है।