उत्तराखंड के तराई में खाद्य मंत्री रेखा आर्या ने कई राइस मिलों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की। इस दौरान कई गड़बड़ियां और मानकों का पालन ना होने के मामले पकड़ में आए। ऐसी मिलों के खिलाफ खाद्य मंत्री ने कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। अधिकारियों की मिलीभगत पाए जाने पर उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात कही है।
शुक्रवार को खाद्य मंत्री रेखा आर्या ने बाजपुर और जसपुर स्थित कई राइस मिलों का औचक निरीक्षण किया। कई जगह राइस मिलों के संचालन में गड़बड़ियां देखकर मंत्री दंग रह गईं। इस दौरान खाद्य मंत्री ने धनलक्ष्मी फूड्स, धनलक्ष्मी सीड्स, उत्तरांचल फूड, महावीर फूड, एएसएम फूड्स और जसपुर में पंजाब फूड्स प्लांट का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान धनलक्ष्मी सीड्स, महावीर फूड, एएसएम फूड्स और पंजाब फूड्स में खामियां देखने को मिली। एक प्लांट बंद मिला। जिससे संभवत: डमी के रूप में लगाया गया है। कई राइस मिलों में सौरटैक्स मशीन, ड्रायर प्लांट, ब्लेन्डिंग मशीन का ना होना पाया गया।
खाद्य मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ऐसी सभी मिल जो नियमों के विपरीत काम कर रही हैं, उनके इम्पैनलमेंट को समाप्त किया जाए। सचिव खाद्य को तीन दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट देने और कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है। जो राइस मिलें नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, उनके लक्ष्य को निरस्त कर ठीक तरीके सक काम करने वाली मिलों को आवंटित करने को कहा गया है। मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि कई राइस मिलें नियमों को ताक पर रखकर काम कर रही हैं। इसे कतई बर्दास्त नहीं किया जाएगा। विभागीय सचिव को ऐसी मिलों के खिलाफ और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध भी कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।
उत्तराखंड का तराई इलाका धान की खेती और राइस मिलों के गढ़ के रूप में जाना जाता है। मंत्री के औचक निरीक्षण में जिस तरह के फर्जीवाड़े पकड़ में आए उससे लगता है कि तराई में कई राइस मिलों को डमी के रूप में लगाया गया है। जिनका उद्देश्य धान खरीदना नहीं है।
सरकार राइस मिलों से धान की कस्टम मिलिंग कराती और खरीद करती है। मिलें धान की खरीद करती हैं और मिलिंग के बाद सरकार को चावल बेचती है। तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तजिंदर सिंह विर्क ने रूरल वॉयस को बताया कि सरकार राइस मिलों के जरिये धान की खरीद की व्यवस्था में सुधार कर किसानों से मंडी के जरिये खरीद करे। मौजूदा व्यवस्था पारदर्शी नहीं है। कई बार राइस मिलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे धान की खरीद करती हैं।