खेतों में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को लेकर उत्तर प्रदेश में भी काफी सख्ती की जा रही है। कृषि विभाग किसानों फसल अवशेष जैसे पराली, गन्ने की पत्ती, कूड़ा आदि खेतों में न जलाने का अनुरोध कर रहा है।
उप कृषि निदेशक, मुजफ्फरनगर की ओर से जारी सूचना के अनुसार, हर गांव में चैकिंग की जाएगी। किसी भी किसान के खेत में दिन में गन्ने की पत्ती जली हुई नही मिलनी चाहिए। गन्ने की पत्ती जली हुई पाए जाने पर किसान को जुर्माना देय होगा। साथ ही गन्ने की पर्ची भी बंद कर दी जाएगी। खेतों में आग की घटनाओं पर पुलिस, लेखपाल, गन्ना विभाग, कृषि विभाग की टीम छापेमारी करेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग की ओर से खेतों में फसल अवशेष न जलाने और अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। फसल अवशेषों को खेतों में जलाने की घटनाओं की मॉनिटरिेंग सेटेलाइट के माध्यम से की जा रही है जिसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को प्राप्त होती है। सेटेलाइट के द्वारा खेतों का विवरण दर्ज कर लिया जाता है। खेतों में फसल अवशेष जलाने पर 5000 रुपये/ प्रति घटना, दो एकड से पांच एकड के लिए 10000 रुपये/ प्रति घटना और पांच एकड से अधिक क्षेत्र के लिए 30000 रुपये/ प्रति घटना के हिसाब से जुर्माने का प्रावधान है। इस प्रकार की कार्रवाई से बचने के लिए किसानों से फसल अवशेष खेतों में नहीं जलाने की अपील की गई है।
कृषि विभाग के अधिकारियों की ओर से किसानों को अवशेष प्रबंधन के लिए उपलब्ध मशीनों और वेस्ट डिकंपोजर का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया जा रहा है। जिससे फसल अवशेष आसानी से सड़ा सकते हैं और मिट्टी में कार्बन अंश की वृद्धि होगी। किसानों को वेस्ट डिकंपोजर निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।