राजस्थान सरकार ने राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और मिट्टी की उर्वरकता को सुधारने के लिए वर्मी कंपोस्ट इकाई निर्माण योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत 5 हजार वर्मी कंपोस्ट इकाइयां स्थापना करने का लक्ष्य तय किया गया है। सरकार द्वारा किसानों को इकाई की स्थापना के लिए 50 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। इस योजना का मुख्य उद्देश्य मिट्टी की जैविक और भौतिक स्थिति में सुधार करना है, जिससे मृदा की उर्वरकता और पर्यावरण संतुलन बना रहेगा।
कृषि आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसानों को 30 फीट x 8 फीट x 2.5 फीट आकार के पक्के निर्माण पर खर्च का 50 फीसदी या अधिकतम 50 हजार रुपये तक का अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान जिला अधिकारी या कृषि पर्यवेक्षक/सहायक कृषि अधिकारी द्वारा इकाई के भौतिक सत्यापन के बाद ही जारी होगा। वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने के लिए किसान के पास न्यूनतम 0.4 हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए।
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. सतीश कुमार शर्मा ने बताया कि पक्के शेड की ऊंचाई बीच में कम से कम 10 फीट और किनारों पर 8 फीट होनी चाहिए। एक इकाई के लिए कम से कम 60 किलोग्राम केंचुए किसान एटीसी, रजिस्टर्ड एनजीओ, गौशाला, कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि अनुसंधान केंद्र, कृषि कॉलेज आदि से खरीद सकते हैं। प्रत्येक बेड में 400-400 ग्राम ट्राइकोडर्मा, पीएसबी, एजोटोबेक्टर कल्चर और 1.0 किलो नीम की खली का उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 5 हजार वर्मी कंपोस्ट इकाइयों को स्थापित करने का लक्ष्य तय किया गया है।
संयुक्त निदेशक ने कहा किसान 'राज किसान साथी पोर्टल' https://rajkisan.rajasthan.gov.in/ या नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर जाकर जन आधार के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे। आवेदन के लिए किसान के पास न्यूनतम 6 माह पुरानी जमाबंदी का होना आवश्यक है। पोर्टल पर आवेदन करने पर पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर किसान को अनुदान मिलेगा। आवेदन अधिका की स्थिति में लॉटरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
यह योजना किसानों को रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती लागत से राहत दिलाने और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित करती है। जैविक खेती से फसलों को उचित पोषण मिलता है, जिससे उनकी वृद्धि होती है और किसानों की आय में बढ़ोतरी होती है। साथ ही, जैविक खाद से मिट्टी की संरचना और भूजल स्तर भी बनाए रखा जा सकता है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होता है।