संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न मांगों को लेकर पंजाब के किसान संगठनों ने बुधवार को चंडीगढ़ कूच का प्रयास किया। लेकिन पुलिस ने जगह-जगह बैरीकेड्स और चेक पॉइंट लगाकर किसानों को चंडीगढ़ जाने से रोका। इस दौरान बीकेयू (एकता उगराहां) के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां समेत कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया और बहुत से किसान नेता नजरअंद हैं। नाराज किसानों ने पंजाब में कई स्थानों पर विरोध-प्रदर्शन और चक्का जाम किया। किसानों को जहां रोका गया, वहीं धरने पर बैठ गये।
एसकेएम की ओर से जारी बयान के मुताबिक, पुलिस ने किसानों को चंडीगढ़ जाने से रोका तो पंजाब में किसानों ने 35 से अधिक स्थानों पर शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एक दिन पहले पंजाब पुलिस द्वारा 350 किसान नेताओं की गिरफ्तारी के बावजूद आज के विरोध-प्रदर्शन में किसानों ने बड़ी तादाद में भागीदारी की। लेकिन किसानों ने सड़क या रेल को अवरुद्ध नहीं किया, जैसा कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने एक दिन पहले आरोप लगाया था।
एसकेएम ने कहा कि पंजाब पुलिस ने आज जोगिंदर सिंह उगराहां, मुकेश चंद्र शर्मा समेत कई किसान नेताओं को गिरफ्तार किया है। एसकेएम ने बलबीर सिंह राजेवाल और रुलदू सिंह मानसा समेत बुजुर्ग नेताओं को पुलिस हिरासत में रखने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान की कड़ी निंदा की।
इस बीच, रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर ने कहा कि पंजाब में स्थिति पूरी तरह शांतिपूर्ण है। किसान जहां-जहां से आए हैं, वहां की पुलिस ने उन्हें वहीं रोक दिया है।
एसकेएम ने 5 मार्च से चंडीगढ़ में एक सप्ताह के धरने का ऐलान किया था। सोमवार को मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ वार्ता टूटने के बाद प्रदेश भर में किसान नेताओं पर छापेमारी शुरू हो गई और कई किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया। इसके बाद भी एसकेएम के नेता 5 मार्च के “चंडीगढ़ चलो” के आह्वान पर अडिग रहे।
बुधवार सुबह से ही किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में भरकर चंडीगढ़ कूच करना शुरू कर दिया था। लेकिन पुलिस ने किसानों को चंडीगढ़ जाने की अनुमति नहीं दी। चंडीगढ़ जाने वाले मार्गों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया और विभिन्न चेक पॉइंटों पर किसानों को रोका गया। चंडीगढ़ शहर के सभी एंट्री पॉइंट पर सख्त नाकेबंदी की गई। किसानों को रोकने के लिए कई रास्तों पर रेत लदे टिपर भी खड़े किए गए।
संगरूर में किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहां को चंडीगढ़ जाते समय हिरासत में लिया गया। उन्हें छाजली पुलिस स्टेशन ले जाया गया। जोगिंदर सिंह उगराहां ने किसानों से अपील की है कि उनहें जहां भी रोका जाए, वहीं शांतिपूर्ण ढंग से सड़क किनारे बैठकर विरोध जताएं। एसकेएम के नेता रमिंदर सिंह पटियाला ने पंजाब सरकार के रवैये को अघोषित आपातकाल करार देते हुए कहा कि पुलिस ने कई जगह किसानों को रोका और हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए गये किसान नेताओं में बीकेयू राजेवाल के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चंद्र शर्मा और बीकेयू शादीपुर के अध्यक्ष बूटा सिंह शादीपुर भी शामिल हैं।
बीकेयू (शहीद भगत सिंह) के नेता तेजवीर सिंह ने बताया कि पंजाब पुलिस ने एसकेएम के चंडीगढ़ कूच को नाकाम करने के लिए किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के नेताओं को भी गिरफ्तार किया है। हमारी मांगे सांझी है। हम एक साथ, कन्धे से कन्धा मिलाकर संघर्ष करेंगे। अमृतसर में किसान मजदूर मोर्चा ने सीएम भगवंत मान का पुतला फूंका। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि राज्य सरकार का रवैया और अहंकार निंदनीय है। पंजाब के लोगों द्वारा इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बीकेयू डकौंदा ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके अध्यक्ष मंजीत सिंह धनेर के साथ मारपीट की। जब पुलिस ने रायकोट के भैणी धरेरा गांव के पास धनेर को गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो किसान इकट्ठा हो गए और उन्हें धनेर को ले जाने नहीं दिया।
मोगा में क्रांतिकारी किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष जतिंदर सिंह ने बताया कि जब वे चंडीगढ़ जा रहे थे तो पंजाब पुलिस ने उन्हें अजीतवाल में रोक लिया और कई किसानों को हिरासत ले लिया। मोगा के डीसी कॉम्प्लेक्स पर किसानों ने धरना दिया। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच धक्का-मुक्की हो गई। मोहाली में जुटे करीब 50 किसानों को भी हिरासत में लिया गया।
समराला-चंडीगढ़ रोड पर भी पुलिस ने किसानों को चंडीगढ़ जाने से रोका और कई लोगों को हिरासत में लिया। संगरूर, तरनतारन, अमृतसर और अन्य जिलों में भी किसानों ने विरोध-प्रदर्शन किया। बीकेयू उगराहां के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि हर जगह भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। हमें अपने ही राज्य की राजधानी में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
सीएम के बयान से गुस्साए किसान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को किसान संगठनों पर आए दिन विरोध-प्रदर्शन करने और पंजाब को "धरनों का प्रदेश" बनाने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि उनकी सरकार किसानों से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है, लेकिन आंदोलन के नाम पर जनता को परेशान करना सही नहीं है।
एसकेएम की मांगें
एसकेएम ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एमएसपी की कानूनी गारंटी, राज्य की कृषि नीति को लागू करने, राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर बासमती, मक्का, मूंग, आलू सहित छह फसलों की खरीद करने तथा कृषि विपणन पर राष्ट्रीय नीति ढांचे के केंद्र के मसौदे को वापस लेने समेत 18 मांगें रखी हैं। इनमें "जबरन" अधिग्रहण रोकने तथा 2020-21 में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को नौकरी और मुआवजा देने की मांग भी शामिल है।
किसान नेताओं पर छापेमारी
मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ सोमवार को वार्ता टूटने के बाद रात में ही पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं पर छापेमारी शुरू कर दी थी। इस दौरान किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया, जबकि कुछ को नजरबंद कर दिया। जिन किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया, उनमें बलबीर सिंह राजेवाल, रुलदू सिंह मानसा, जंगवीर सिंह चौहान, गुरमीत सिंह भाटीवाल, नछत्तर सिंह जैतों, वीरपाल सिंह ढिल्लों, बिंदर सिंह गोलेवाल, गुरनाम भीखी और हरमेश सिंह ढेसी शामिल हैं। पुलिस कार्रवाई को देखते हुए कई किसान नेता इधर-उधर हो गए।