शामली में बकाया गन्ना भुगतान को लेकर किसानों का धरना जारी, बीकेयू का समर्थन  

किसानों का आरोप है कि त्रिवेणी समूह ने किसानों का बकाया भुगतान करने से पहले चीनी मिल के पुराने मालिक सर शादीलाल ग्रुप के प्रमोटर्स को भुगतान क्यों किया। बकाया भुगतान नहीं मिलने के कारण किसानों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में अपर दोआब शुगर मिल पर बकाया गन्ना भुगतान को लेकर पिछले दो सप्ताह से किसान धरना-प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन अभी तक इस मामले का हल नहीं निकला है। प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि जब तक ब्याज समेत भुगतान नहीं दिया जाता, तब तक शुगर मिल और कलेक्ट्रेट परिसर में धरना जारी रहेगा। शामली शुगर मिल में किसानों ने मिल का मेंटीनेंस का काम भी रूकवा दिया है। 

शामली में किसानों के प्रदर्शन को भारतीय किसान यूनियन ने अपना समर्थन दिया है। मंगलवार रात को कलेक्ट्रेट चौराहे पर हाईवे जाम कर बैठे किसानों को हटाने के लिए जैसे ही पुलिस और पीएससी के जवान पहुंचे तो पूरे इलाके में हलचल मच गई। देर रात ही भाकियू युवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरव टिकैत किसानों के धरने को समर्थन देने पहुंच गये। इसके बाद किसानों को प्रशासन ने कलक्ट्रेट के अंदर धरना देने की जगह दे दी। फिलहाल शामली में शुगर मिल परिसर और कलेक्ट्रेट परिसर में किसानों के धरने चल रहे हैं। किसानों के विरोध-प्रदर्शन को खाप के नेताओं ने भी समर्थन दिया है। 

भाकियू के प्रदेश उपाध्यक्ष कपिल खाटियान ने रूरल वॉयस को बताया कि कई बार वादे के बाद भी शामली शुगर मिल ने गन्ना किसानों को 2022-23 का भुगतान नहीं किया है। बकाया भुगतान की मांग को लेकर चल रहे किसानों के धरने को भाकियू का पूरा समर्थन है। किसान बकाया भुगतान की मांग को लेकर 2 अक्टूबर से धरना दे रहे हैं। पिछले महीने भी किसानों को बकाया भुगतान के लिए 15 दिनों तक धरना देना पड़ा था जिसके बाद मिल ने 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया। अब बकाया 188 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए किसानों को संघर्ष करना पड़ रहा है।

गत जून में शामली की लगभग 91 साल पुरानी चीनी मिल का प्रबंधन त्रिवेणी समूह के हाथों में आ गया था। कपिल खाटियान ने बताया कि नए प्रबंधन ने तीन महीने में बकाया भुगतान की बात कही थी। लेकिन भुगतान नहीं किया। फिर यूनिट हेड में एक महीने में भुगतान का आश्वासन दिया। इसके बाद मिल प्रबंधक दो साल में पेमेंट करने की बात करने लगे तो किसानों का धैर्य जबाव दे गया और 2 अक्टूबर से किसान मिल परिसर में धरने पर बैठ गये। सोमवार को किसानों ने शुगर मिल परिसर से कलेक्ट्रेट परिसर की ओर कूच किया तो उन्हें कलेक्ट्रेट के अंदर नहीं घुसने दिया गया। जिसके बाद गुस्साए किसानों ने दिल्ली-सहारनपुर और पानीपत-खटीमा हाईवे जाम कर दिया था। जिला प्रशासन के अनुरोध के बाद किसानों ने हाईवे से तो धरना हटा दिया लेकिन मिल परिसर और कलेक्ट्रेट में धरना जारी है।  

किसानों का कहना है कि जिला प्रशासन भी किसानों पर धरना समाप्त करने का दबाव बना रहा है ताकि शुगर मिल में मेंटनेंस के काम पूरे हो सकें। अब मिल प्रबंधन 25 करोड़ रुपये का भुगतान इस महीने, 25 करोड़ दीवाली तक और 25 करोड़ दिसंबर तक करने की बात कह रहा है जिस पर किसान सहमत नहीं हैं। किसानों ने साफ शब्दों में कह दिया कि जब तक उनका बकाया भुगतान होगा, दोनों जगहों पर धरना जारी रहेगा।

किसानों का आरोप है कि त्रिवेणी समूह ने किसानों का बकाया भुगतान करने से पहले चीनी मिल के पुराने मालिक सर शादीलाल ग्रुप के प्रमोटर्स को भुगतान क्यों किया। बकाया भुगतान नहीं मिलने के कारण किसानों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि शुगर कंट्रोल ऑर्डर, 1966 के अनुसार, गन्ना किसानों को भुगतान में 14 दिन से अधिक देरी होने पर ब्याज सहित भुगतान होना चाहिए। इस मामले पर किसान नेता सरदार वीएम सिंह की याचिका हाईकोर्ट में लंबित है।