राजस्थान में किसानों को डीएपी के स्थान पर एसएसपी व यूरिया के उपयोग की सलाह

संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) दौसा डॉ. प्रदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि फसलों की बुवाई के समय किसानों द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में डीएपी के उपयोग का प्रचलन अधिक है। किसानों द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में केवल डीएपी पर अधिक निर्भर होने के कारण मांग के अनुरूप डीएपी खाद उपलब्ध कराने में कठिनाई आती है तथा भूमि में संतुलित पोषक तत्वों की भी आपूर्ति नहीं होती है।

राजस्थान सरकार के कृषि विभाग की ओर किसानों को डीएपी के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) और यूरिया के उपयोग की सलाह दी गई है। विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) दौसा डॉ. प्रदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि फसलों की बुवाई के समय किसानों द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में डीएपी के उपयोग का प्रचलन अधिक है। किसानों द्वारा फॉस्फेटिक उर्वरक के रूप में केवल डीएपी पर अधिक निर्भर होने के कारण मांग के अनुरूप डीएपी खाद उपलब्ध कराने में कठिनाई आती है तथा भूमि में संतुलित पोषक तत्वों की भी आपूर्ति नहीं होती है। समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम) के उद्देश्य से उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जिले के किसानों को कृषि विभाग के माध्यम से आवश्यक तकनीकी सलाह के लिए आगामी रबी सीजन से पूर्व 02 से 15 सितंबर तक प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर किसान संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। 

कृषि अधिकारी दौसा (प्रशिक्षण) अशोक कुमार मीणा ने बताया कि किसान बुवाई के समय डीएपी खाद के विकल्प के रूप में 1 बैग डीएपी के स्थान पर 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट (एसपी) व 1 बैग यूरिया का उपयोग करें। सिंगल सुपर फास्फेट में उपलब्ध फास्फोरस तत्व के अलावा अन्य आवश्यक पोषक तत्व यथा- सल्फर, जिंक सल्फेट, बोरोन आदि पोषक तत्व भी उपलब्ध होते हैं। 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट एवं 1 बैग यूरिया में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत डीएपी में उपलब्ध पोषक तत्वों की लागत से कम होती है। मीणा ने बताया कि भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाए जाने हेतु कार्बनिक खादों यथा गोबर खाद, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कम्पोस्ट, खली, प्रोम, फोम, एलफॉम, ऑर्गेनिक मैंन्योर इत्यादि का अधिक से अधिक उपयोग किया जाना चाहिए। किसान खेतों से मिट्टी नमूने की जांच के आधार पर बनाए गए, मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार भूमि में उर्वरकों का उपयोग करें।

गौरतलब है कि पिछले दिनों रूरल वॉयस ने खबर प्रकाशित की थी कि कैसे आगामी रबी सीजन में डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की उपलब्धता को लेकर किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते उर्वरक कंपनियों ने डीएपी का आयात कम किया है। जबकि इस साल अप्रैल से जून तक डीएपी का आयात पिछले साल के मुकाबले करीब 46 फीसदी घटा है। ऐसे में अगर अगले एक माह के भीतर आयात में बढ़ोतरी नहीं होती है तो गेहूं और दूसरी रबी फसलों के लिए किसानों को डीएपी की उपलब्धता को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।