किसानों को गेहूं, धान जैसी परंपरागत फसलों के बजाय अन्य फसलें और फल-सब्जियां उगाने की सलाह खूब दी जाती है। अक्सर किसान इस पर अमल भी करते हैं लेकिन बाजार के उतार-चढ़ाव से बचना मुश्किल होता है। अब मध्यप्रदेश के रतलाम क्षेत्र में किसानों को मिर्च की उपज का उचित भाव नहीं मिल पा रहा है। हताशा में किसान मिर्ची की उपज को सड़क पर फेंककर अपना रोष जता रहे हैं।
मध्यप्रदेश में हरी मिर्च की गिरती कीमतों से परेशान किसी किसान ने अपनी उपज को रतलाम शहर की एक कॉलोनी में सड़क पर फेंक दिया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार, रतलाम और आसपास के क्षेत्रों में किसानों को हरी मिर्च का थोक भाव मात्र 10-12 रुपये प्रति किलोग्राम या उससे भी कम मिल रहा है। इससे पहले मध्यप्रदेश में प्याज और लहसुन के सही दाम नहीं मिलने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था। किसान सरकार से मिर्च के उचित दाम दिलाने की मांग कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने रूरल वॉयस को बताया कि रतलाम और आसपास के क्षेत्रों में हरी मिर्च के दाम 5 से 10 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गये हैं। जबकि मिर्च की तुड़ाई का खर्च ही चार-पांच रुपये प्रति किलोग्राम आ जाता है। ऐसे में किसानों के लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि मिर्च सड़कों पर फेंकने की नौबत आ गई है।
मध्यप्रदेश में रतलाम के आसपास का इलाका मिर्च की खेती के लिए भी जाना जाता है। रतलाम मंडी में गुजरात और राजस्थान से भी मिर्च बिकने आती है। मंडी में आवक बढ़ने पर दाम गिर जाते हैं जिससे किसानों को सही भाव नहीं मिल पाता है। सब्जी उत्पादक किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने की कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। ना ही मिर्च जैसी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और सरकारी खरीद का प्रावधान होता है। ऐसे में किसान पूरी तरह बाजार के भरोसे होते हैं।