हरियाणा में अंबाला जिले की नारायणगढ़ चीनी मिल के भविष्य और बकाया भुगतान को लेकर किसान चिंतित हैं। कोर्ट से चीनी मिल की संपत्ति अटैचमेंट के आदेश के बाद किसान संगठन बकाया भुगतान को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि प्रशासन मामले का हल निकालने में नाकाम रहा है। घपले-घोटालों और वित्तीय संकट से जूझ रही नारायणगढ़ चीनी मिल के सामने नीलामी का खतरा मंडरा रहा है।
नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) से जुड़े एक मामले में कोर्ट ने चीनी मिल की संपत्ति अटैच करने का आदेश दिया था। जब से किसानों को इस आदेश की जानकारी मिली है, तभी से मिल के बिकने या नीलामी की अटकलें लगाई जा रही हैं। चीनी मिल को गन्ना बेच चुके किसान अपने भुगतान को लेकर परेशान हैं। पिछले और इस सीजन का मिलकार करीब 70 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है जबकि कई अन्य संस्थानों की देनदारियां भी हैं।
बकाया भुगतान को लेकर बुधवार को बीकेयू शहीद भगत सिंह, संयुक्त किसान मजदूर इंकलाब यूनियन और गन्ना किसान कमेटी ने नारायणगढ़ में एसडीएम कार्यालय पर धरना दिया। किसान नेता तेजवीर सिंह ने बताया कि जब तक किसानों के बकाया भुगतान का मामला नहीं सुलझता, आंदोलन जारी रहेगा। किसान चीनी मिल नीलाम होने की स्थिति में भुगतान की गारंटी प्रशासन से चाहते हैं। चीनी मिल पर इस सीजन का करीब 50 करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान बकाया है कि जबकि पिछले सीजन का 18 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी है। इसके अलावा चीनी मिल पर 35 करोड़ रुपये के फसल कर्ज में घपले के आरोप भी हैं। यह कर्ज चीनी मिल ने किसानों ने नाम पर उठाया गया था। हरियाणा के हरको बैंक और इरेडा की देनदारी चीनी मिल पर है।
बीकेयू (चढ़ूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने रूरल वॉयल को बताया कि किसानों को उनका बकाया भुगतान ब्याज सहित मिलना चाहिए। किसानों ने मिल को अपनी उपज बेची है, कोई लोन नहीं दिया है। अगर मिल की नीलामी होती है या कोई इसे खरीदता है तो सबसे पहले किसानों की बकाया राशि का भुगतान होना चाहिए। इस मुद्दे पर आगामी 2 जनवरी को नारायणगढ़ में किसान पंचायत बुलाई गई है, जिसमें निर्णय लेकर प्रशासन को अवगत कराया जाएगा।
उधर, शुगर मिल प्रबंधन का कहना है कि मिल की कुर्की के आदेश नहीं हुए बल्कि संपत्ति अटैचमेंट के ऑर्डर हुए हैं। कोर्ट में मामला अभी विचाराधीन है। लेकिन सवाल यह भी है कि अगर मिल बंद होती है तो किसान गन्ना कहां बेचेंगे। किसानों का जो बकाया है, उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। फिलहाल यह मिल सरकारी नियंत्रण में चल रही हैं और हजारों किसान इस पर निर्भर हैं।
क्या है मामला?
वेयरहाउस में रखी कृषि उपज पर लोन और निवेश जुड़ा एनएसईएल घोटाला 2013 में सामने आया था। इस मामले में याथुरी एसोसिएट्स नाम की एक कंपनी का नाम भी आया जो नारायणगढ़ चीनी मिल के मालिकों से जुड़ी है। गत अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने याथुरी एसोसिएट्स की संपत्ति को अटैच करने का आदेश दिया था, जिसकी चपेट में नारायणगढ़ चीनी मिल भी आ गई। नारायणगढ़ शुगर मिल के मालिक राहुल आनंद पर अलग-अलग कंपनियों के जरिए एनएसईएल में लगभग 122 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। फिलहाल राहुल आनंद जेल में हैं और दो साल से मिल का संचालन सरकार करवा रही है।