राजस्थान में इस साल मानसून की अच्छी शुरूआत के बाद किसानों ने बड़े पैमाने पर उड़द और मूंग की बुवाई की, लेकिन बुवाई के कुछ ही दिनों बाद हुई अत्यधिक बाऱिश और फिर सूखे जैसे हालात के चलते इन फसलों में 40 से 50 फीसदी तक नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है।
रूरल वॉयस से बातचीत करते हुए कृषि अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान अटारी जोधपुर के डायरेक्टर डॉ एस. के. सिहं ने बताया कि अगस्त में हुई भारी बारिश से मूंग औऱ उड़द की फसल को काफी नुकसान हुआ है। ज्य़ादा बारिश से कई जगह फसलें गिर गईं और गलने लगीं। जो फसल बची है उसमें ज्यादा फलिया नहीं बन रही हैं। उन्होंने बताया कि अधिक बारिश के चलते पौधों में ज्यादा वानस्पतिक वृद्धि होती है और फलियां कम बनती हैं। इस समय बारिश ना होने से नमी की कमी और अधिक तापमान के कारण भी उपज में गिरावट आएगी।
डॉ. सिंह के अनुसार ज्यादा बारिश होने से सबसे ज्यादा ज्वार और मूंग की फसल खराब हुई है। इसके अलावा कई इलाकों में उड़द, मक्का, ग्वार, सोयाबीन और मूंगफली की फसलें खराब हुई हैं। फसल खराब होने के कारण किसानों को लागत निकलना भी मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में अगस्त में अधिक बारिश और बाद में सूखे के कारण तिल की उपज में भी गिरावट आएगी।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में बाजरा सबसे अधिक होता है। इसकी खेती लगभग 40 से 45 लाख हेक्टयर में की जाती है। बाजरा की पैदावार सात से लेकर दस फीसदी तक कम हो सकती है। बाजरा में दाना बनने की अवस्था पानी की जरूरत होती है, लेकिन उस समय बारिश न होने से बालियों में दाने का वजन का कम होगा।
डॉ सिंह ने कहा कि शुरू में अधिक बारिश और बीच में सूखे जैसे हालात के कारण राजस्थान की प्रमुख फसलों ग्वार, मोठ और मक्का की पैदावार में गिरावट आएगी। अगर सितम्बर में बारिश हो जाती है तो तोरिया सरसो और दलहनी फसलों की अच्छी बुवाई हो जाएगी नहीं तो रबी फसलों पर भी इस सूखे का असर पड़ेगा।