पंजाब में कृषि नीति को लेकर चर्चा जोर पकड़ रही है। गुरुवार को चंडीगढ़ में हुई पंजाब कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा हुई। सरकार का कहना है कि कृषि नीति का मसौदा तैयार है, लेकिन इसे लागू करने से पहले सभी संबंधित पक्षों से चर्चा की जाएगी। बैठक के बाद वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि बैठक में कई अहम फैसले हुए, जिसमें कृषि नीति पर भी चर्चा शामिल थी। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही कृषि नीति की घोषणा करेगी।
इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी करने और बिजली पर दी जाने वाली डबल सब्सिडी को खत्म करने का भी निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले से 300 यूनिट बिजली मुफ्त दे रही है, ऐसे में सब्सिडी को खत्म कर दिया गया है।
बुधवार को पंजाब विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कृषि नीति के मुद्दे पर अपनी सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि कृषि नीति का मसौदा तैयार है, लेकिन सभी हितधारकों से विचार-विमर्श जरूरी है ताकि सबकी सहमति से नीति लागू की जा सके। उन्होंने 2020 के तीन कृषि कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा था कि भाजपा बिना चर्चा के कृषि कानून लेकर आई थी, लेकिन बाद में उसे कानून वापस लेने पड़े थे। इसलिए पंजाब सरकार किसान यूनियनों और अन्य संगठनों से बात करके ही कोई कदम उठाएगी। वहीं, कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां का कहना है कि किसान आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अब इस पर सरकार आगे का फैसला लेगी।
दूसरी ओर, कृषि नीति लागू करने की मांग को लेकर चंडीगढ़ के सेक्टर 34 के दशहरा ग्राउंड में किसान यूनियनों का प्रदर्शन जारी है। भारती किसान यूनियन (एकता) और पंजाब खेत मजदूर यूनियन के बैनर तले किसान रविवार से यहां प्रदर्शन कर रहे हैं। पंजाब खेत मजदूर यूनियन के महासचिव लक्ष्मण सिंह सेवेवाल ने आम आदमी पार्टी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्ता में आने के ढाई साल बाद भी कृषि नीति लागू नहीं हुई है। सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
किसानों की प्रमुख मांगों में सभी फसलों की एमएसपी पर खरीद, खेती को कॉरपोरेट कब्जे से बचाना, रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देना, किसान-मजदूरों के कर्ज माफ करना, आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देना, दिल्ली आंदोलन की लंबित मांगों को पूरा करना, और राज्य में नशे की समस्या पर रोक लगाना शामिल हैं।