हरियाणा की मंडियों में भीगा खुले में पड़ा धान, खरीद में देरी से किसान नाराज

करनाल और कुरुक्षेत्र की मंडियों में बुधवार को बारिश के चलते खुले में रखा किसानों का धान भीग गया। अनाज मंडियों में भीग रहे धान के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे मंडियों में उचित व्यवस्था न होने के चलते किसान की मेहनत बारिश में भीग रही है  

हरियाणा की अनाज मंडियों में खुले में पड़ा किसानों का धान बारिश के चलते भीग रहा है। समय पर खरीद शुरू नहीं होने से किसान खुले में अपना धान रखने को मजबूर हैं, जिससे किसानों की नाराजगी और बढ़ गई है। राज्य में धान की सरकारी खरीद पहले 23 सितंबर से शुरू होने थी, लेकिन सरकार ने अचानक आदेश जारी कर खरीद की तारीख बढ़ाकर 1 अक्टूबर कर दी। किसान जब धान लेकर अनाज मंडियों में पहुंचे तो उन्हें पता चला की खरीद अब 1 अक्टूबर से होगी। जिस वजह से किसानों को मंडियो में धान की ढेरी लगानी पड़ी। वहीं बुधवार को हुई बारिश के चलते करनाल और कुरुक्षेत्र की मंडियों में खुले में रखा किसानों का धान भीग गया। अनाज मंडियों में भीग रहे धान के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि कैसे मंडियों में उचित व्यवस्था न होने के चलते किसान की मेहनत बारिश में बह रही है।   

हरियाणा की अनाज मंडियों में अगेती बुवाई वाले धान की आवक शुरू हो गई है। मंडियों में 1509 धान के साथ मोटे धान (पीआर) भी आ रहा है। हालांकि, सरकारी खरीद शुरू नहीं होने से किसान अपना धान प्राइवेट खरीदार को बेचने को मजबूर हैं। प्राइवेट खरीदार धान को कम दाम पर खरीद रहे हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। पिछले साल 1509 धान का भाव 3500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक था, लेकिन फिलहाल इसका रेट 2800-3000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है। वहीं, मोटा धान भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 300 से 400 रुपये कम दाम पर मंडियों में बिक रहा है। केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए सामान्य धान का एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए धान का एमएसपी 2320 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।  

भारतीय किसान नौजवान यूनियन के संयोजक अभिमन्यु कोहाड़ ने रूरल वॉयल को बताया कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल और आसपास के क्षेत्रों में धान की फसल तैयार है, लेकिन सरकारी खरीद में देरी के कारण किसानों को एमएसपी से कम दाम पर अपनी फसल बेचनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि पीआर धान पर किसानों को प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपये का नुकसान हो रहा है। कोहाड़ ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर किसानों को परेशान करने के लिए खरीद में देरी कर रही है। उन्होंने कहा कि मंडियों में खरीद को लेकर उचित व्यवस्था भी नहीं की गई है, जिससे बीते दिनों हुई बारिश में किसानों का धान भीग गया।  

बता दें कि प्रदेश में धान खरीद में हो रही देरी से किसानों में काफी रोष है, जिससे प्रदेश की राजनीति भी गरमा गई है। किसानों ने धान की खरीद में देरी के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। जिसका असर हरियाणा विधानसभा पर पड़ सकता है।