हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में 'टूरिज्म विलेज' के लिए चौधरी सरवन कुमार कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर (सीएसके) की 112 हेक्टेयर जमीन को पर्यटन विभाग को सौंपने का फैसला अंतिम है। यह जमीन जल्द ही 'टूरिज्म विलेज' बनाने के लिए हस्तांतरित की जाएगी। यह बात प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा सत्र के दौरान कही।
कांगड़ा की सुलह विधानसभा से भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार द्वारा पूछे गए सवाल पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि यह फैसला सावधानी से लिया गया है। उन्होंने साफ किया कि इस जमीन पर कोई कैसीनो नहीं बनेगा और 'टूरिज्म विलेज' के लिए जमीन हस्तांतरण के खिलाफ याचिकाओं को खारिज कर दिया गया है।
सुक्खू ने यह भी कहा कि पिछले 48 वर्षों में विश्वविद्यालय ने 50 हेक्टेयर जमीन भी विकसित नहीं की है। भविष्य में विश्वविद्यालय को जरूरत पड़ने पर निजी जमीन उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने कहा कि पर्यटन हिमाचल प्रदेश की ताकत है और जमीन हस्तांतरण के लिए अधिसूचना जल्द ही जारी की जाएगी।
विपिन सिंह परमार ने इस जमीन हस्तांतरण का विरोध करते हुए सुझाव दिया कि बागोड़ा में 3000 बीघा जमीन उपलब्ध है, जिसका उपयोग किया जा सकता है। विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर ने भी कहा कि विश्वविद्यालय के पास 'टूरिज्म विलेज' बनने से शैक्षणिक माहौल प्रभावित हो सकता है और किसी अन्य स्थान पर यह परियोजना शुरू करने का सुझाव दिया।
कांगड़ा जिले में 'टूरिज्म विलेज' बनाने के लिए पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की 112 हेक्टेयर जमीन को हस्तांतरित करने का प्रस्ताव पर विवाद लगातार जारी है। विश्वविद्यालय के शिक्षक और छात्र इस फैसले का विरोध कर रहे हैं, जबकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह निर्णय अंतिम है। छात्रों का कहना है कि यह प्रस्ताव अनुचित है क्योंकि सरकार विश्वविद्यालय को अधिक जमीन देने के बजाय मौजूदा भूमि घटाने की कोशिश कर रही है। छात्र संगठनों का कहना है कि यह जमीन छात्रों के प्रायोगिक कार्यों और अनुसंधान के लिए उपयोगी है, और इसके हस्तांतरण से विश्वविद्यालय के पास मौजूदा क्षेत्र कम हो जाएगा, जिससे उत्तर पश्चिमी हिमालय के लिए केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय बनने की संभावना खत्म हो जाएगी।
सरकार ने विश्वविद्यालय को इसके बदले दूसरी जमीन देने की पेशकश की है, लेकिन शिक्षकों और छात्रों का कहना है कि यह वैकल्पिक जमीन बंजर है और विश्वविद्यालय से काफी दूर है। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि विश्वविद्यालय की मौजूदा भूमि को करोड़ों रुपये खर्च कर विकसित किया गया है, और नई जमीन उपयोगी नहीं होगी।