देश के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में आधिकारिक तौर पर एक अक्टूबर से गन्ना पेराई सत्र (2024-25) की शुरुआत हो चुकी है लेकिन अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) घोषित नहीं किया है। जबकि कायदे से किसानों को फसल की बुवाई से पहले ही फसल का दाम मालूम होना चाहिए, लेकिन यहां तो फसल कटाई के बाद भी किसान भाव जाने बिना ही चीनी मिलों को गन्ना बेचने को मजबूर हैं। इस साल गन्ने का भाव बढ़ाने को लेकर भी कोई खास हलचल नहीं है।
केंद्र सरकार ने इस साल फरवरी में ही 2024-25 शुगर सीजन के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी (एफआरपी) 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया था। लेकिन यूपी सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) पेराई सत्र शुरू होने के एक महीना बाद भी घोषित नहीं किया है। इसकी वजह सूबे के बदले सियासी हालात हैं।
यह उस राज्य की स्थिति है जहां करीब 45 लाख किसान परिवार गन्ने की खेती पर निर्भर हैं और प्रदेश की इकोनॉमी में गन्ना सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक का योगदान करता है। यही वजह है कि यूपी की राजनीति पर गन्ना किसानों का दबदबा रहा है। लेकिन पश्चिमी यूपी में असर रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल के केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा से हाथ मिलाने के बाद हालात बदल गए हैं। इसलिए पेराई सीजन शुरू होने के बाद भी गन्ना मूल्य का ऐलान न होना कोई बड़ा मुद्दा नहीं बन पाया और न ही गन्ने का भाव बढ़ाने की मांग प्रमुखता से उठ रही है। जबकि प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर आगामी 20 नवंबर को उपचुनाव होने हैं। इनमें से मीरापुर, कुंदरकी और खैर जैसी सीटें गन्ना उत्पादक पश्चिमी यूपी में हैं।
बिजनौर जिले के पुंडरी गांव के किसान राजेंद्र सिंह बताते हैं कि इस साल गन्ने के भाव को लेकर न तो राष्ट्रीय लोकदल ने मुद्दा उठाया और न ही किसान यूनियनें बढ़-चढ़कर विरोध-प्रदर्शन कर पा रही हैं। इसका कारण वे किसानों की कमजोर पड़ती ताकत और रालोद के भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले को मानते हैं। गौरतलब है कि भाजपा के साथ गठबंधन से पहले रालोद गन्ना किसानों का मुद्दा जोरशोर से उठाती रही है।
कब होगा गन्ना 400 पार
चीनी के अलावा एथेनॉल और खांडसारी उत्पादन के लिए बढ़ती मांग के कारण पिछले साल खांडसारी इकाईयों ने गन्ना का दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल तक दिया था। इसे देखते हुए पिछले साल ही गन्ने का एसएपी 400 रुपये क्विंटल तक बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन इस साल भी गन्ना मूल्य 400 पार होना मुश्किल नजर आ रहा है। चीनी उद्योग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि चीनी मिलें इस साल गन्ना मूल्य बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं। जबकि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) और एथेनॉल का दाम बढ़ाने की मांग कर रही हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मांग की है कि बढ़ती महंगाई और लागत को देखते हुए गन्ने का भाव 500 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया जाए और बकाया भुगतान भी ब्याज सहित कराया जाए। लेकिन गन्ने के रेट के मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन भी इस बार खास सक्रिय नहीं दिख रही है। इसके पीछे ऐतिहासिक किसान आंदोलन के बाद किसान संगठनों में आया बिखराव भी एक बड़ी वजह है। इससे भी सरकार पर किसानों का दबाव कम हुआ है। तराई इलाके के किसान नेता तजिंदर सिंह विर्क मानते हैं कि किसानों को अपने मुद्दों पर नए सिरे से एकजुट होने की जरूरत है। अन्यथा सरकार में उनकी सुनवाई नहीं होगी।
आठ साल में सिर्फ 55 रुपये भाव बढ़ा
यूपी के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी अब तक गन्ना मूल्य की घोषणा न होने को लेकर खास हलचल नहीं दिखाई है। जबकि पिछले 8 वर्षों में यूपी में गन्ने का एसएपी मात्र 55 रुपये बढ़ा है। 2017-18 में गन्ने के एसएपी में 10 रुपये की बढ़ोतरी कर 325 रुपये प्रति क्विंटल का भाव तय किया गया था जो अगले तीन साल फ्रीज रहा। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार ने 2021-22 सीजन के लिए एसएपी में 25 रुपये की बढ़ोतरी कर रेट 350 रुपये प्रति क्विंटल किया था। तब पेराई सीजन शुरू होने के पहले ही सितंबर, 2021 में एसएपी की घोषणा की गई थी। लेकिन अगले साल पेराई सीजन 2022-23 में जनवरी तक एसएपी का ऐलान नहीं हुआ और आखिर में इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई।
यूपी में पिछले 8 वर्षो में गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) (रुपये/क्विंटल) |
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पेराई सत्र | गन्ना मूल्य |
2016-17 | 315 |
2017-18 | 325 |
2018-19 | 325 |
2019-20 | 325 |
2020-21 | 325 |
2021-22 | 350 |
2022-23 | 350 |
2023-24 | 370 |
गन्ने की अगैती किस्मों के लिए |
यूपी में पिछले साल पेराई सत्र शुरू होने के साढ़े तीन महीने बाद 18 जनवरी, 2024 को 2023-24 सीजन के लिए गन्ने के एसएपी का ऐलान हुआ था। तब गन्ना मूल्य 20 रुपये बढ़ाकर अगैती किस्मों के लिए 370 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य किस्मों के लिए 360 रुपये और अनुपयुक्त किस्मों के लिए 355 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया था। इस तरह पिछले सात साल में यूपी में गन्ने का एसएपी तीन बार 10, 25 और 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा है। मुख्य तौर पर चुनावी साल में ही गन्ना मूल्य में बढ़ोतरी की गई।
हरियाणा-पंजाब में यूपी से ज्यादा रेट
पिछले साल किसानों को गन्ने का सबसे ज्यादा भाव पंजाब में मिला। पंजाब में 2023-24 सीजन के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने गन्ने का एसएपी 391 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। हरियाणा में गन्ने का एसएपी पिछले साल 386 रुपये प्रति क्विंटल था। साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने घोषणा की थी कि अगले सीजन यानी 2024-25 के लिए गन्ने का एसएपी 400 रुपये प्रति क्विंटल किया जाएगा। वहीं, उत्तराखंड में गन्ने का एसएपी पिछले साल 375 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि उत्तर प्रदेश में यह 370 रुपये प्रति क्विंटल था।