पंजाब में धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने के मामले सामने आने लगे हैं। राज्य में पराली जलाने पर प्रतिबंध के बाद भी राज्य कृषि विभाग को पराली जलाने की शिकायतें मिल रही हैं। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार ने 'फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना' शुरु की है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने रविवार को इस योजना की शुरुआत की, जिसके तहत किसान पराली प्रबंधन के लिए सहकारी बैंकों से लोन ले सकेंगे। साथ ही यह मशीनें और कृषि उपकरण किसानों को 50 से 80 फीसदी तक सब्सिडी पर दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसान अब फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सहकारी बैंकों से आसानी से ऋण (लोन) ले सकते हैं। यह योजना राज्य के सभी सहकारी बैंकों की 802 शाखाओं में शुरू की गई है। लोन चुकाने की अवधि 5 वर्ष होगी और इसे 10 अर्धवार्षिक किस्तों में भी चुकाया जा सकेगा। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।
माने कहा कि प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पीएसी), कॉमन हायरिंग सेंटर (सीएचसी) या अन्य संस्थाएं योजना के तहत कृषि उपकरणों की खरीद पर 80 फीसदी सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं। इसके अलावा, किसान बेलर और सुपरसीडर जैसी मशीनों पर 50 फीसदी तक सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। इस योजना का उद्देश्य किसानों को पराली जलाने की बजाय वैकल्पिक प्रबंधन के तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार की अच्छी नीतियों के चलते पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में 72 फीसदी की कमी आई है। सरकार किसानों को जागरूक कर रही है और उन्हें पराली प्रबंधन के लिए जरूरी उपकरण उपलब्ध करा रही है, ताकि राज्य का पर्यावरण स्वच्छ और सुरक्षित रह सके।