चीनी वर्ष 2023-24 में उत्पादन घटने की आशंका पहले से जताई जा रही है, अब एक नई मुसीबत चीनी उद्योग और गन्ना किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। दरअसल, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पर्यावरण नियमों के उल्लंघन के आरोप में महाराष्ट्र की 45 सहकारी चीनी मीलों को बंद करने का नोटिस दिया है। महाराष्ट्र में 1 नवंबर से गन्ना पेराई का सत्र शुरू होता है। ऐसे में इन सहकारी मिलों के बंद होने से न सिर्फ किसानों को अपना गन्ना बेचने में दिक्कत आएगी, बल्कि निजी मिलों की मनमानी बढ़ सकती है।
कहा जा रहा है कि इन सहकारी मिलों में से ज्यादातर पर शरद पवार गुट और कांग्रेस समर्थित कोऑपरेटिव सोसोयटीज का कब्जा है। पर्यावरण नियमों की अवहेलना करने पर चीनी मिलों को पहले भी नोटिस जारी होते रहे हैं, मगर यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में मिलों को नोटिस जारी किया गया है। महाराष्ट्र में कुल 190 चीनी मीलें हैं जिनमें से 105 चालू हालत में हैं। इन 105 में से अगर 45 बंद हो गई तो गन्ना किसानों की हालत क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसकी सूचना महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को भी पत्र के जरिये दी है। पत्र में कहा गया है कि जिन चीनी मीलों ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की धारा 5 का पालन नहीं किया है उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। धारा 5 के तहत केंद्र को किसी भी उद्योग को बंद करने का अधिकार है। इसके तहत प्रतिष्ठान का संचालन बंद करने, बिजली और पानी की आपूर्ति या अन्य सेवा को रोकने या नियंत्रित करने सहित आवश्यक कार्रवाई का निर्देश देने की शक्तियां हैं।
सीपीसीबी के एक अधिकारी के मुताबिक, जिन चीनी मीलों को बंद करने का नोटिस भेजा गया है उनकी बिजली आपूर्ति रोकने के लिए एमपीसीबी राज्य बिजली बोर्ड को जरूर निर्देश देगा। सीपीसीबी ने सभी 45 मीलों के निरीक्षण और सत्यापन की जिम्मेदारी भी एमपीसीबी को दी है। एमपीसीबी को 10 नवंबर तक कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
सीपीसीबी ने सख्त लहते में कहा है कि 45 सहकारी चीनी मिलों को बंद करने के आदेश को जब तक रद्द नहीं किया जाता तब तक ये मिलें गन्ना पेराई सत्र 2023-24 में अपना परिचालन शुरू नहीं करेंगी।