तमिलनाडु के नारियल उत्पादक बुधवार से नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनिश्चिकालीन भूख हड़ताल करेंगे। उनकी मांग है कि सरकार द्वारा खरीदे गए एक लाख टन खोपरा नारियल को तेल में बदलकर भारत आटा की तर्ज पर भारत नारियल तेल नाम से उसकी बिक्री की जाए। उनका कहना है कि मांग पूरी होने तक उनका विरोध जारी रहेगा।
तमिलनाडु फार्मर्स प्रोटेक्शन एसोसिएशन के संस्थापक ईसन मुरुगासामी ने रूरल वॉयस को बताया, “नेफेड ने किसानों से 108.60 रुपये प्रति किलो पर खोपरा नारियल खरीदा है। अकेले तमिलनाडु से एक लाख टन की खरीद हुई है। अब नेफेड नारियल को खुले बाजार में बेचने की व्यवस्था कर रहा है। इसका फायदा उठाते हुए नारियल तेल कारोबार में शामिल बड़ी कंपनियों ने एक सिंडिकेट बनाया है और 65 रुपये प्रति किलो पर बोली लगाने की योजना बनाई है।”
उन्होंने कहा कि कुल खोपरा नारियल उत्पादन का केवल 10 फीसदी केंद्र सरकार द्वारा खरीदा जाता है, शेष 90 फीसदी नारियल खुले बाजार में बेचे जाते हैं। कर्नाटक में नेफेड द्वारा खरीदे गए खोपरा का 20 फीसदी खुले बाजार में बेचा गया था। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में खोपरा की कीमत 90 रुपये से घटकर 85 रुपये हो गई है। नेफेड द्वारा एक लाख टन खोपरा बेचने पर प्रति किलो खोपरा की कीमत 85 रुपये से गिरकर 50 रुपये हो जाएगी, जबकि नारियल की कीमत 12 रुपये से घटकर 5 रुपये हो जाएगी।
मुरुगासामी ने आशंका जताई कि कीमतें घटने से देश के एक करोड़ नारियल किसान गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि नेफेड जिस तरह से गेहूं का आटा भारत आटा के नाम से, दाल भारत दाल के नाम से और प्याज भारत प्याज के नाम से बेचता है, उसी तरह से किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारत नारियल तेल के नाम से नारियल तेल की बिक्री करे। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि नेफेड खोपरा नारियल खरीद रहा है और उन्हें खोपरा के रूप में बाजार में बेच रहा है। इससे नारियल किसान बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए नारियल किसानों और सभी किसान संघों की ओर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की जा रही है।
उन्होंने कहा कि नेफेड द्वारा खरीदे गए एक लाख टन खोपरा नारियल को तेल में बदलने की मांग पूरी होने तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने कोकोनट ग्रोअर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, तमिलनाडु फार्मर्स प्रोटेक्शन एसोसिएशन, तमिलनाडु कावेरी फार्मर्स प्रोटेक्शन एसोसिएशन और तमिलनाडु फार्मर्स सोसायटीज के संयुक्त आंदोलन की ओर से कहा कि हम सभी से बड़ी संख्या में भूख हड़ताल में भाग लेने का अनुरोध करते हैं।